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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बढ़ते यौन अपराधों को देखते हुए ‘‘लिव-इन-रिलेशन’’ को समाज के लिए बताया ‘‘अभिशाप’’

By भाषा | Updated: April 20, 2022 21:04 IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने बलात्कार के एक मामले की सुनवाई करते हुए यौन अपराधों और सामाजिक विकृतियों में इजाफे के मद्देनजर "लिव-इन" संबंधों को अभिशाप करार दिया है।

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ठळक मुद्देलिव-इन संबंध अनुच्छेद 21 के तहत मिलने वाली संवैधानिक गारंटी को कलंकित कर रहे हैंलिव-इन संबंध तीव्र कामुक व्यवहार के साथ-साथ व्याभिचार को भी बढ़ावा देने का काम करते हैंलिव-इन में रहने वाले इस बात से अनभिज्ञ हो जाते हैं कि सभी संबंधों की अपनी सामाजिक सीमाएं हैं

इंदौर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने यौन अपराधों और सामाजिक विकृतियों में इजाफे के मद्देनजर "लिव-इन" संबंधों (दो जोड़ीदारों द्वारा बिना शादी के साथ रहना) को अभिशाप करार दिया है। अदालत ने मंगलवार को इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि "लिव-इन" संबंधों का यह अभिशाप नागरिकों को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का ‘‘बाई-प्रोडक्ट’’ है। 

हाईकोर्ट के इंदौर बेंच के जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने एक महिला से बार-बार बलात्कार और उसकी सहमति के बिना जबरन गर्भपात कराने, आपराधिक धमकी देने और अन्य आरोपों का सामना कर रहे 25 साल के आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए ये तल्ख टिप्पणी की।

सिंगल बेंच ने 12 अप्रैल को जारी आदेश में कहा,‘‘हाल के दिनों में लिव-इन संबंधों से उत्पन्न अपराधों की बाढ़ का संज्ञान लेते हुए अदालत यह टिप्पणी करने पर मजबूर है कि लिव-इन संबंधों का अभिशाप संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिलने वाली संवैधानिक गारंटी का एक सह-उत्पाद है, जो भारतीय समाज के लोकाचार को निगल रहा है तथा तीव्र कामुक व्यवहार के साथ ही व्याभिचार को बढ़ावा दे रहा है जिससे यौन अपराधों में लगातार इजाफा हो रहा है।’’

अदालत ने "लिव-इन" संबंधों से बढ़ती सामाजिक विकृतियों और कानूनी विवादों की ओर इशारा करते हुए कहा,‘‘जो लोग इस आजादी का शोषण करना चाहते हैं, वे इसे तुरंत अपनाते हैं, लेकिन वे इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं कि इसकी अपनी सीमाएं हैं और यह (आजादी) दोनों में किसी भी जोड़ीदार को एक-दूसरे पर कोई अधिकार प्रदान नहीं करती है।’’ 

हाईकोर्ट ने केस डायरी और मामले के अन्य दस्तावेजों पर गौर करने के बाद कहा कि इस बात का खुलासा होता है कि 25 वर्षीय आरोपी और पीड़ित महिला काफी समय तक "लिव-इन" संबंधों में रहे थे और इस दौरान महिला का आरोपी के कथित दबाव में दो बार से ज्यादा गर्भपात भी कराया गया था।

अदालत ने कहा कि दोनों जोड़ीदारों के आपसी संबंध तब बिगड़े, जब महिला ने किसी अन्य व्यक्ति के साथ सगाई कर ली। 25 वर्षीय व्यक्ति पर आरोप है कि उसने इस सगाई पर आग-बबूला होकर उसकी पूर्व "लिव-इन" जोड़ीदार को परेशान करना शुरू कर दिया।

उस पर यह आरोप भी है कि उसने महिला के भावी ससुराल पक्ष के लोगों को अपना वीडियो भेजकर धमकी दी कि अगर उसकी पूर्व "लिव-इन" जोड़ीदार की शादी किसी अन्य व्यक्ति से हुई, तो वह आत्महत्या कर लेगा और इसके लिए महिला के मायके व ससुराल, दोनों पक्षों के लोग जिम्मेदार होंगे।

पीड़ित महिला के वकील ने अदालत को बताया कि आरोपी द्वारा यह वीडियो भेजे जाने के बाद उसकी सगाई टूट गई और उसकी शादी नहीं हो सकी। इस मामले में प्रदेश सरकार की ओर से अमित सिंह सिसोदिया ने पैरवी की।

टॅग्स :हाई कोर्टMadhya Pradesh
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