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तक्षशिला अग्निकांड के बाद लोकमत का जायजा, बारूद के ढेर पर है सूरत का कपड़ा बाजार!

By महेश खरे | Updated: May 27, 2019 07:36 IST

तक्षशिला अग्निकांड के बाद कपड़ा बाजार के चंद गिने चुने मार्केटों की चर्चा ना करें तो बाकी मार्केटों के भवन जर्जर हैं या वहां बाबा आदम के जमाने की लाइन में गड़बड़ी के कारण आए दिन शार्ट शर्किट होना कोई अनहोनी नहीं मानी जाती.

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ठळक मुद्दे1600 मार्केट और 65 हजार से अधिक दुकानों वाली टैक्सटाइल नगरी में आधे से अधिक मार्केटों में फायर सेफ्टी के नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हुए व्यापार हो रहा है.अग्निकांडों में सुरक्षित रहने के लिए आखिर सूरितयों ने पिछली घटनाओं से सबक क्या लिया? 

अहमदाबाद (26 मई): हम लाक्षागृह तो नहीं कहेंगे लेकिन सूरत का कपड़ा बाजार भी बारूद के ढेर पर बसा है. 1600 मार्केट और 65 हजार से अधिक दुकानों वाली टैक्सटाइल नगरी में आधे से अधिक मार्केटों में फायर सेफ्टी के नियम कायदों की धज्जियां उड़ाते हुए व्यापार हो रहा है. तक्षशिला अग्निकांड के बाद कपड़ा बाजार के चंद गिने चुने मार्केटों की चर्चा ना करें तो बाकी मार्केटों के भवन जर्जर हैं या वहां बाबा आदम के जमाने की लाइन में गड़बड़ी के कारण आए दिन शार्ट शर्किट होना कोई अनहोनी नहीं मानी जाती.

फायर सेफ्टी पर तो अक्सर व्यापारी ही चुटकुले सुना सुना कर एक दूसरे का मनोरंजन करते दिखाई देना आम बात है. सूरती बड़े सहनशील होते हैं. वर्षों पहले बाढ़ और प्लेग जैसी महामारी को ये शहर झेल गया. कहीं कहीं मनपा कर्मचारियों की वर्षों पहले मकानों की दीवारों पर उकेरे गए चिह्नों को इंगित कर लोग यह याद दिलाते मिल जाएंगे कि ये और कुछ नहीं 2006 की बाढ़ के जलस्तर का निशान है. तब शहर पानी में कई दिनों तक डूबा रहा था. आज भी जब तेज बारिश होती है तो कपड़ा बाजार से सटा इलाका घंटों जलमग्न रहता है.

बाढ़ की विभीषिका से उबरने में सूरतियों को शायद 6 माह से अधिक नहीं लगे. शहर सामान्य हो गया, लेकिन आज अगर कोई यह पूछे कि सूरत ने बाढ़ से सबक क्या लिया तो बिरले ही जबाव दे पाएंगे. ठीक है अगर हममें आपदाओं से उबरने की जीवटता है, साहस है, माद्दा है तो क्या लापरवाह बने रह कर हम आपदाओं को बार बार न्यौता देते रहेंगे? पिछले अग्निकांडों से क्या सबक लिया? अग्निकांडों में सुरक्षित रहने के लिए आखिर सूरितयों ने पिछली घटनाओं से सबक क्या लिया? 

इस सवाल का जबाव शायद कुछ नहीं होगा. क्योंकि आज भी जर्जर मकानों, अवैध निर्माणों में बाल बच्चों के साथ मजे से गुजर बसर करते लोग मिल जाएंगे. शायद दो ढाई साल सहले की ही तो बात है कोहिनूर टैक्सटाइल मार्केट में लगी आग में बाहुबली की दस दुकानों में लाखों का माल स्वाहा हो गया था. इससे पहले बड़ा अग्निकांड परबत पाटिया के पास सारोली रोड पर विपुल साड़ी के भव्य बहुमंजिले शोरूम में हुआ. इसके बाद सारोली रोड पर ही लैंडमार्क मार्केट में भीषण अग्निकांड हुआ जो कुछ जानों की बलि लेकर ही शांत हुआ.

सूरत की कपड़ा मंडी में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार, राजस्थान, दिल्ली और कोलकाता सहित कई राज्यों से खरीददारी के लिए एक से डेढ़ लाख लोग हर रोज आते हैं. इतने ही कर्मचारी और मजदूर यहां काम करते हैं. इसके बावजूद यहां मोटी बेगमबाड़ी जैसे बीसियों मार्केट विस्तार हैं जहां अगर आग भड़क जाए तो वहां से भागना भी मुश्किल है. फायर सेफ्टी को अंगूठा,केवल नोटिस देते हैं विभाग व्यापारी संकरी गलियों में फायर सेफ्टी की अनदेखी करते हुए व्यापार करते रहते हैं. विभागीय आपराधिक अनदेखी का कारण भ्रष्टाचार भी है. एसएमसी और फायर ब्रिगेड के अधिकारी नोटिस देकर कागजी खाना पूर्ति करते रहते हैं.

मासूमों की मौत के बाद अब जागा गुजरात का प्रशासन

तक्षशिला अग्निकांड में 23 मासूमों की बलि चढ़ने के तीसरे दिन अब जाकर प्रशासन जागा है. सूरत में फायर सेफ्टी के अभाव वाले संस्थानों, दुकानों पर फायर ब्रिगेड के अधिकारियों ने सील लगाना शुरू कर दिया है. अहमदाबाद की 1400 से ज्यादा इकाइयों को नोटिस जारी किया गया है. सूरत की जनता ने मेयर जगदीश पटेल के स्कूलों की भी फायर सेफ्टी मुद्दे पर जांच की मांग की है. लोगों का आरोप है कि शहर में मेयर के तीन स्कूल हैं और इनमें भी फायर सेफ्टी नियमों का पालन नहीं हो रहा है.

मेयर इस्तीफा दें

कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल ने तक्षशिला हादसे के लिए मेयर जगदीश पटेल को जिम्मेदार ठहराते हुए उनसे इस्तीफा देने की मांग की है. 12 घंटे में यदि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया तो हार्दिक अनशन शुरू कर देंगे. उधर, भाजपा नेता वरु ण पटेल ने हार्दिक को पॉलिटिकल स्टंटबाज बताते हुए कहा कि वे मासूमों की मौत पर राजनीति न करें.

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