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लोकसभा ने मजदूरी संहिता 2019 संबंधी विधेयक को मंजूरी, सरकार ने कहा- मजदूरों के लिए उठाया ऐतिहासिक कदम

By भाषा | Updated: July 30, 2019 20:59 IST

लोकसभा: निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि यह मजदूरों को न्‍यूनतम वेतन तथा देश के 50 करोड़ कामगारों को समय पर वेतन भुगतान सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

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ठळक मुद्देलोकसभा ने मंगलवार को मजदूरी संहिता 2019 संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करना, कारोबार अनुकूल माहौल को बढ़ावा देना सहित श्रमिक कल्याण को मजबूत बनाया गया है।केंद्रीय मंत्री गंगवार ने कहा कि 2002 में इस पर श्रम संबंधी समिति ने विचार किया था और कहा था कि श्रम संबंधी 44 कानूनों को कम किया जाए। 2014 में हमारी सरकार आने के बाद इस दिशा में पहल हुई और अब हम इसे लेकर आये हैं।

लोकसभा ने मंगलवार को मजदूरी संहिता 2019 संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करना, कारोबार अनुकूल माहौल को बढ़ावा देना सहित श्रमिक कल्याण को मजबूत बनाया गया है। निचले सदन में विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि यह मजदूरों को न्‍यूनतम वेतन तथा देश के 50 करोड़ कामगारों को समय पर वेतन भुगतान सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।उन्होंने कहा कि यह कदम मजदूरों के जीवन को सरल बनाने, मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने और व्‍यापार सुगमता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। गंगवार ने कहा कि इस विधेयक में प्रावधान है कि मजदूर तीन वर्ष के भीतर दावा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें निरीक्षण की व्यवस्था को पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाया गया है। इससे संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के 50 करोड़ मजदूरों को लाभ मिलेगा । मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकार करते विधेयक को मंजूरी दे दी।

केंद्रीय मंत्री गंगवार ने कहा कि 2002 में इस पर श्रम संबंधी समिति ने विचार किया था और कहा था कि श्रम संबंधी 44 कानूनों को कम किया जाए। 2014 में हमारी सरकार आने के बाद इस दिशा में पहल हुई और अब हम इसे लेकर आये हैं। उन्होंने कहा कि इस बारे में श्रम संगठनों, राज्यों, उद्योगपतियों से चर्चा की गई है। यह वास्तव में मजदूरों के हित में है । विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि न्यूनतम मजदूरी में हर पांच साल में संशोधन किया जाएगा।

वेतन संहिता विधेयक सरकार की ओर से परिकल्पित चार संहिताओं में से एक है। ये चार संहिताएं पुराने 44 श्रम कानूनों की जगह लेंगी। विधेयक के उद्देश्यों में बताया गया है कि ये निवेशकों की सहूलियत और आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए निवेश को आकर्षित करने में मदद करेंगी। ये चार संहिताएं वेतन, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा एवं कल्याण और औद्योगिक संबंध से जुड़ी हैं।

वेतन पर कोड सभी कर्मचारियों के लिए क्षेत्र और वेतन सीमा पर ध्‍यान दिए बिना सभी कर्मचारियों के लिए न्‍यूनतम वेतन और वेतन के समय पर भुगतान को सार्वभौमिक बनाता है। वर्तमान में न्‍यूनतम वेतन अधिनियम और वेतन का भुगतान अधिनियम दोनों को एक विशेष वेतन सीमा से कम और अनुसूचित रोजगारों में नियोजित कामगारों पर ही लागू करने के प्रावधान हैं। इस विधेयक से हर कामगार के लिए भरण-पोषण का अधिकार सुनिश्चित होगा और मौजूदा लगभग 40 से 100 प्रतिशत कार्यबल को न्‍यूनतम मजदूरी के विधायी संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि हर कामगार को न्‍यूनतम वेतन मिले, जिससे कामगार की क्रय शक्ति बढ़ेगी और अर्थव्‍यवस्‍था में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा। न्‍यूनतम जीवन यापन की स्थितियों के आधार पर गणना किये जाने वाले वैधानिक स्‍तर वेतन की शुरूआत से देश में गुणवत्‍तापूर्ण जीवन स्‍तर को बढ़ावा मिलेगा और लगभग 50 करोड़ कामगार इससे लाभान्वित होंगे।

इस विधेयक में राज्‍यों द्वारा कामगारों को डिजिटल मोड से वेतन के भुगतान को अधिसूचित करने की परिकल्‍पना की गई है। इसमें कहा गया है कि विभिन्‍न श्रम कानूनों में वेतन की 12 परिभाषाएं हैं, जिन्‍हें लागू करने में कठिनाइयों के अलावा मुकदमेबाजी को भी बढ़ावा मिलता है।

इस परिभाषा को सरल बनाया गया है, जिससे मुकदमेबाजी कम होने और एक नियोक्‍ता के लिए इसका अनुपालन सरल करने की उम्‍मीद है। इससे प्रतिष्‍ठान भी लाभान्वित होंगे, क्‍योंकि रजिस्‍टरों की संख्‍या, रिटर्न और फॉर्म आदि न केवल इलेक्‍ट्रॉनिक रूप से भरे जा सकेंगे और उनका रख-रखाव किया जा सकेगा, बल्कि यह भी कल्‍पना की गई है कि कानूनों के माध्‍यम से एक से अधिक नमूना निर्धारित नहीं किया जाएगा। व

र्तमान में अधिकांश राज्‍यों में विविध न्‍यूनतम वेतन हैं। वेतन पर कोड के माध्‍यम से न्‍यूनतम वेतन निर्धारण की प्रणाली को सरल और युक्तिसंगत बनाया गया है। रोजगार के विभिन्‍न प्रकारों को अलग करके न्‍यूनतम वेतन के निर्धारण के लिए एक ही मानदंड बनाया गया है। न्‍यूनतम वेतन निर्धारण मुख्‍य रूप से स्‍थान और कौशल पर आधारित होगा।

इसके तहत निरीक्षण व्यवस्था में अनेक परिवर्तन किए गए हैं। इनमें वेब आधारित बिना बारी के कम्‍प्‍यूटरीकृत निरीक्षण योजना, अधिकार क्षेत्र मुक्‍त निरीक्षण, निरीक्षण के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक रूप से जानकारी मांगना और जुर्मानों का संयोजन आदि शामिल हैं। इन सभी परिवर्तनों से पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ श्रम कानूनों को लागू करने में सहायता मिलेगी। 

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