पटना: लोकसभा चुनाव की जारी गतिविधियों के बीच लालू यादव की पार्टी राजद को झटके पर झटका लगते जा रहा है। टिकट बंटवारे को लेकर जारी नाराजगी के बीच पार्टी के दिग्गज नेता दल छोडते जा रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता वृषिण पटेल के बाद पूर्व सांसद अशफाक करीम ने दल को बाय-बाय कह दिया था।
पूर्व राजद नेता ने कहा कि यह घाव अभी भरा भी नही था कि पार्टी के एक और बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव ने भी बुधवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। देवेंद्र यादव ने कहा कि राजद में जो राजनीति चल पड़ी है वो केवल ‘राज’ के लिये है, उसमें नीति नहीं है, जबकि राज और नीति दोनों का सामंजस्य होना लाजमी था।
उन्होंने कहा कि राजद में दोनों का सामंजस्य दूर-दूर तक नहीं दिख रहा है। ऐसे में एक क्षण भी इस पार्टी में रहना मेरे लिए संभव नहीं है। मैं पार्टी के सभी पदों सहित प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। अपने इस्तीफे में देवेंद्र यादव ने लिखा है कि मैं ऐसा महसूस करने लगा हूं कि इस तरह की राजनीति से नीति पूरी तरह नदारद हो चली है यानी सिद्धांत के बिना राजनीति मतलब आत्मा के बिना मात्रा शरीर।
देवेंद्र यादव ने कहा कि यदि किसी भी समाजवादी विचारधारा वाला कार्यकर्ता को पार्टी महागठबंधन के तहत झंझारपुर का या अन्य आधे दर्जन जगहों में जो उम्मीदवारों का आयात किया गया है, वैसे जगहों में पार्टी के मान्य विचारधारा वाली पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता या समर्पित नेता को पार्टी का टिकट दिया जाता तो मुझे कोई शिकवा-शिकायत नहीं हो सकती थी, परन्तु सांप्रदायिक शक्ति के पोषक दलों से पैराशूट से एक दिन में उतारकर उम्मीदवार बनाने की जो कार्य संस्कृति पनप गई है, उससे पूरी तरह घुटन महसूस कर रहा हूं और आश्चर्यचकित भी हूं।
उन्होंने कहा कि मेरी अंतरात्मा कह रही है कि अब राजद में एक क्षण भी बना रहना असहज सा हो गया है। अशफाक करीम के इस्तीफा के सवाल पर देवेंद्र यादव ने कहा कि अभी तो विकेट गिरना शुरू हुआ है। कितना विकेट गिरेगा, इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मैं अपनी आगे की रणनीति अपने साथियों से बात करने के बाद तय करूंगा। मैं डेमोक्रेटिक इंसान हूं। मेरा अगला कदम हमारे साथियों की राय पर निर्भर करेगा।