लखनऊ: लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में यूपी के पूर्वांचल की सियासत अपने पूरे उफान पर है। सत्ता की इस लड़ाई के अंतिम मुकाबले के लिए वाराणसी से मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहक्षेत्र गोरखपुर में भाजपा की साख दाव पर हैष इसके अलावा गाजीपुर में दिवंगत मुख्तार अंसारी के गढ़ में गहमागहमी काफी तेज है।
इसके अलावा पूर्वांचल से ही एनडीए की मजबूत साथी अनुप्रिया पटेल का 'अपना दल', ओमप्रकाश राजभर का सुभासपा और संजय निषाद जैसे कई अन्य नेताओं के लिए बेहद कडी परीक्षा है। सातवें चरण में 1 जून को यूपी की कुल 13 सीटों पर मतदान होगा।
समाचार वेबसाइट द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास में प्रभावशाली नेताओं की लिस्ट में शुमार हैं। उनके अलावा भाजपा के चुनावी अभियान की अगुवाई कर रहे योगी आदित्यनाथ का काम भी इस चुनाव में बेहद अहम भूमिका निभाएगा। विशेष रूप से योगी के माफिया विरोधी रुख के रूप में अलग पहचना बनाने के साथ हिंदुत्व के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता वोटरों को कितना प्रभावित करती है, ये तो 4 जून को मतगणना के साथ ही पता चलेगा।
पीएम मोदी, जो पिछली रैलियों में यूपी के सीएम योगी के शासन की बिना किसी हिचकिचाहट के प्रशंसा कर रहे थे, उम्मीद है उससे पूर्वांचल के मतदाताओं में भाजपा के प्रति रूझान बढ़ सकता है। प्रधानमंत्री लगातार अपनी रैलियों में यूपी के गैंगस्टरों और खूंखार माफियाओं के खिलाफ योगी की 'बुलडोजर' कार्रवाई की प्रशंसा कर रहे हैं, जिससे लोगों को उनके आतंक और भय के शासन से राहत मिली है।
जाहिर है कि पीएम योगी आदित्यनाथ के यूपी सीएम का पद संभालने के बाद विकास कार्यों और केंद्रीय कल्याण योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को रेखांकित करते हुए भ्रष्ट और आपराधिक तत्वों पर अंकुश लगाने के योगी के प्रयासों की सराहना करना नहीं भूलते।
हालांकि 4 जून के नतीजों के दो महीने बाद योगी को यूपी के सीएम के रूप में बदलने की भाजपा के शीर्ष नेताओं की कथित योजना पर मतदाताओं के मन में संदेह पैदा करके भगवा ब्रिगेड के अभियान को पटरी से उतारने के लिए आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के प्रयासों के बावजूद गोरक्षनाथ पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ भाजपा के सबसे बड़े स्टार प्रचारक बने हुए हैं।
सीएम योगी ने इसे बार-बार साबित भी किया है और पिछले 35 वर्षों में यूपी में लगातार अपना कार्यकाल दोहराने वाले वो यूपी के एकमात्र सीएम बनकर उभरे हैं।
योगी आदित्यनाथ ने अपने बारे में अफवाहें फैलाने को लेकर विपक्ष पर हमला किया और कहा, "दरअसल, विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। वे हमेशा इस तरह की नकारात्मक और विभाजनकारी राजनीति में रहे हैं। मैं एक योगी हूं और मेरी प्राथमिकता सत्ता हासिल करना नहीं बल्कि पार्टी के मूल्यों और विचारधाराओं के लिए काम करना है।"
उन्होंने कहा, "हमने राजनीति और सार्वजनिक जीवन को चुना। केजरीवाल सत्ता के लिए अपने आदर्शों से हट गए हैं, लेकिन मैं अपने आदर्शों के लिए सत्ता को इस जन्म में ही नहीं, ऐसे 100 जन्मों में भी ठुकराता रहूंगा मेरी पार्टी की 'राष्ट्र प्रथम' की विचारधारा के लिए समर्पण के साथ काम करें।''
लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भले ही दिल्ली के सीएम ने यह कहानी बनाने की कोशिश की है कि भाजपा के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है और शीर्ष अधिकारी योगी को उनकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण बर्दाश्त नहीं करेंगे, लेकिन पार्टी के लिए उनकी अपरिहार्यता बहुत मजबूती के साथ बनी हुई है।
इसके अलावा, योगी आदित्यनाथ ने अपनी लोकप्रियता कट्टर हिंदुत्व के प्रदर्शन से प्राप्त की है। योगी ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी जैसे प्रतिद्वंद्वियों के जातिगत गणित को तोड़ते हुए पार्टी को 2019 के लोकसभा और 2022 के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करने में मदद की थी।
योगी ने यूपी के सीएम बनने के बाद अपने गृह क्षेत्र गोरखपुर में छवि के अनुरूप हिंदुत्व के मुद्दे के साथ-साथ अपने शासन, विकास और कल्याणकारी योजनाओं के कारण भाजपा की पकड़ और भी मजबूत कर ली है।
2024 चुनाव अधिसूचना के बाद से योगी आदित्यनाथ ने भाजपा के सबसे व्यस्त स्टार प्रचारकों में से एक हैं। वो अभी तक भाजपा के पक्ष में पूरे देश में 200 से अधिक रैलियों को संबोधित कर चुके हैं।
भाजपा में माना जा रहा है कि योगी फैक्टर बीजेपी के लिए न सिर्फ दलित बहुल आरक्षित सीट बांसगांव, कुशीनगर, महाराजगंज में बल्कि मऊ के घोसी के अलावा ब्राह्मण-राजपूत और भूमिहार बहुल बलिया, देवरिया और सलेमपुर में बेहद प्रभावी रहेगा।
बीजेपी को योगी की अखिल भारतीय अपील के बारे में पता है, जो यूपी के नतीजे अन्य राज्यों से अलग होने पर और मजबूत हो जाएगी। योगी फैक्टर पूर्वांचल में भाजपा के लिए वोट लाता है और पार्टी यह बात अच्छे से समझती है। मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के द्वारा पूर्वांचल के कायापलट करने से यह स्पष्ट है कि इस क्षेत्र के लिए वो बड़े गेम चेंजर हैं।