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Lok Sabha Elections 2024: पश्चिम यूपी में पहले चरण की आठ सीटों पर चुनाव प्रचार थमा, बीजेपी को इस बार सभी आठों सीटों पर मिली चुनौती

By राजेंद्र कुमार | Updated: April 17, 2024 18:15 IST

पश्चिम यूपी की जिन आठ सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होना है, उनमें हर सीट पर भाजपा उम्मीदवार को इस बार कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ा है।

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ठळक मुद्देपश्चिम यूपी में पहले चरण की आठ सीटों पर चुनाव प्रचार थमापश्चिम यूपी में भाजपा को इस बार सभी आठों सीटों पर मिली चुनौती पश्चिम यूपी की इस चुनौतियों से भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी अवगत है

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए पश्चिम उत्तर प्रदेश की आठ सीटों पर चुनाव प्रचार थम गया। इन आठ सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होना है। बीते लोकसभा चुनावों में इन आठ सीटों में से तीन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत मिली थी। इस बार इन सीटों में इजाफा करने के लिए भाजपा ने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को अपने साथ जोड़ा था। वही दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के गठबंधन से तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी इस आठों सीटों पर अपनी असरदार मौजूदगी दर्ज कराई है। ऐसे में भाजपा को पहली बार आठों सीटों पर कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा है। बुधवार को सहारनपुर में हुए प्रियंका गांधी के रोड शो में उमड़ी भीड़ ने भी यह संकेत दे दिया है कि बीते लोकसभा चुनाव के परिणाम को दोहरा पाना भाजपा की लिए आसान नहीं होगा।

वैसे भी पश्चिम यूपी की जिन आठ सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होना है, उनमें हर सीट पर भाजपा उम्मीदवार को इस बार कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ा है। मुजफ्फरनगर की जिस सीट से बीते लोकसभा चुनाव में चुनाव जीत कर संजीव बालियान मोदी सरकार में मंत्री बने थे। उस सीट पर उन्हे इस बार पार्टी के पूर्व विधायक संगीत सोम की नाराजगी का सामना करना पड़ा है। यहीं नहीं ठाकुर समाज ने भी इस बार पश्चिम यूपी में भाजपा के खिलाफ मतदान करने का ऐलान कर भाजपा की मुश्किलें बढ़ाई हैं। पश्चिम यूपी के लोगों का कहना है कि जाट, गन्ना, अल्पसंख्यक खासतौर पर मुस्लिम और दलित वोटरों के सियासी समीकरण पहले चरण की आठ सीटों पर हावी रहेंगे। जबकि रालोद के भाजपा के साथ आने से अब कैराना, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, नगीना और बिजनौर सीट पर जाट वोटर सपा तथा बसपा उम्मीदवारों के लिए चुनौती बन सकता है। 

कहा जा रहा है कि सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, रामपुर तथा मुरादाबाद सीटों पर मुस्लिम वोट को अपने पाले में करने के लिए सपा और बसपा के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है और इस वोटबैंक के बंट जाने का लाभ भाजपा उठाने का पूरा प्रयास भाजपा करने में जुटी। नगीना सुरक्षित सीट पर भीम आर्मी के चंद्रशेखर के मैदान में होने के कारण दलित मतदाता जिसके साथ खड़ा होगा जीत उसी की होगी। अब रही बात तराई पट्टी की पीलीभीत सीट की तो इस सीट पर सिखों की बहुलता है और गन्ना यहां की प्रमुख फसल है। वरुण गांधी का टिकट कटने से यहां के किसान भाजपा से खफा हैं, ऐसे में गन्ना किसान पीलीभीत, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर और रामपुर सीट पर भी भाजपा के लिए संकट खड़ा कर सकते हैं।

खफा किसान बनेंगे चुनौती? 

पश्चिम यूपी की इस चुनौतियों से भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी अवगत है। इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी रैली में राम मंदिर के जरिए आस्था की बात की और विश्व पटल पर भारत के बढ़ती चमक-दमक की चर्चा कर देश की सुरक्षा, प्रगति से समझौता न करने का संदेश दिया। फिर पीएम मोदी ने सिख बहुल तराई क्षेत्र में सिखों की शौर्य गाथा सुनाते हुए उनके उत्थान के लिए किए गए सरकार के कामों का उल्लेख किया लेकिन कृषि क़ानूनों को लेकर कोई बात नहीं की। 

कैराना सीट पर चुनाव लड़ रही सपा उम्मीदवार इकारा हसन ने पीएम मोदी द्वारा किसानों की अनदेखी करने का मुददा उठाया तो उनके साथ इलाके के किसान खुलकर साथ आ गए हैं। परिणाम स्वरूप किसानों की भाजपा से नाराजगी बढ़ गई और जैसे ही बुधवार को प्रियंका गांधी सहारनपुर में रोडशो करने पहुंची उन्हे देखने सुनने के लिए समूचा शहर ही उनके पीछे चल पड़ा। अब देखना यह है कि 19 अप्रैल को इन आठ सीटों पर पश्चिम यूपी के लोग किस दल के पक्ष में अपनी मोहर लगाएंगे।

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