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लोकसभा चुनाव 2024ः कुशवाहा और साहनी के साथ महागठबंधन को मात देने की तैयारी, केंद्र सरकार ने वीआईपी प्रमुख को वाई कैटेगरी की सुरक्षा दी

By एस पी सिन्हा | Updated: February 22, 2023 17:34 IST

Lok Sabha Elections 2024:  नीतीश कुमार के साथ छोड़ने के बाद से ही भाजपा देश के साथ ही बिहार में भी लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछाने में लगी हुई है।

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ठळक मुद्देकेन्द्रीय गृह मंत्रालय ने मुकेश सहनी को वाई कैटेगरी की सुरक्षा दे दी है। मुकेश सहनी की सुरक्षा बढ़ाए जाने के बाद सियासी गलियारे में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।बिहार में भी लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछाने में लगी हुई है।

पटनाः लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भाजपा ने महागठबंधन को चित करने के लिए बिहार में राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है। जदयू को अलविदा कह चुके उपेन्द्र कुशवाहा के साथ संपर्क साधने के बाद भाजपा ने वीआईपी प्रकुख मुकेश सहनी पर भी निगाहें टिका दी है।

दरअसल, केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने मुकेश सहनी को वाई कैटेगरी की सुरक्षा दे दी है। गृह मंत्रालय के फैसले के बाद वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी सचमुच की वीआईपी कैटेगरी में शामिल हो गए हैं। मुकेश सहनी की सुरक्षा बढ़ाए जाने के बाद सियासी गलियारे में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।

लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछाने में लगी

कहा जा रहा है कि वीआईपी सुरक्षा के बहाने भाजपा और मुकेश सहनी के खटास रिश्ते मधुर होंगे और आने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान दोनो एक साथ आ सकते हैं। कारण कि नीतीश कुमार के साथ छोड़ने के बाद से ही भाजपा देश के साथ ही बिहार में भी लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछाने में लगी हुई है।

भाजपा के लिए मैदान तैयार करने में जुटे

वहीं पूरे देश में विपक्षी एकता की मजबूती की बात करने वाले नीतीश कुमार के जदयू और महागठबंधन में खीचतान सामने आती रहती है। नीतीश के बाद नंबर दो रहे प्रशांत किशोर, आरसीपी सिंह और उपेन्द्र कुशवाहा जदयू से नाता तोड़ चुके हैं और परोक्ष रूप से भाजपा के लिए मैदान तैयार करने में जुट गये हैं।

ऐसे में कहा जाने लगा है कि नीतीश की कमी को पूरा करने के लिए भाजपा पूरी मेहनत कर रही है और 2014 एवं 2019 के प्रदर्शन को 2024 दुहराने की कोशिश में जुट गई है। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विपक्षी एकता का अभियान ज्यादा जोर नहीं पकड़ रहा है। नीतीश के आग्रह के बाद भी कांग्रेस विपक्षी एकता की बागडोर नीतीश के हाथों में पूरी तरह से देने को तैयार नहीं हो रही है।

राजद नेतृत्व खफा नजर आ रहा है

दूसरी ओर मुख्यमंत्री पद को लेकर हो रही कयासबाजी और बयानबाजी से महागठबंधन सरकार में जदयू और राजद के रिश्ते कभी कभी असहज दिख रहे हैं। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के 2025 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनने को लेकर अभी फैसला नहीं होने के बयान से राजद नेतृत्व खफा नजर आ रहा है।

मंगलवार को हुए किसान समागम में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के देर से पहुंचने को भी इस नारजगी से जोर कर देखा जा रहा है। यही नही राजद के विधायक और पूर्व विधायक एक स्वर में इस मुद्दे पर बयानबाजी करने लगे हैं।

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