आरएसएस ने स्पष्ट किया- भाजपा से कोई मतभेद नहीं, मोहन भागवत का बयान पीएम नरेंद्र मोदी पर नहीं था
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: June 15, 2024 10:54 AM2024-06-15T10:54:25+5:302024-06-15T10:56:25+5:30
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने स्पष्ट किया है कि प्रमुख मोहन भागवत सहित उसके शीर्ष नेताओं के हालिया बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा पर निशाना साधने के लिए नही थे।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने स्पष्ट किया है कि प्रमुख मोहन भागवत सहित उसके शीर्ष नेताओं के हालिया बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा पर निशाना साधने के लिए नही थे। आरएसएस का ये बयान ऐसे समय आया है जब लोकसभा चुनाव के बाद मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के साथ संघ के मतभेदों की बात कही जा रही है।
पीटीआई ने आरएसएस के सूत्रों के हवाले से बताया है कि आरएसएस और भाजपा के बीच कोई मतभेद नहीं है। 31 अगस्त से केरल के पलक्कड़ जिले में संगठन की तीन दिवसीय वार्षिक समन्वय बैठक होने वाली है। इसमें भाजपा के अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ नेता भी भाग ले सकते हैं।
दरअसल आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में संगठन के 'कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय' के समापन कार्यक्रम में आरएसएस के प्रशिक्षुओं की एक सभा को संबोधित किया था। इसमें उन्होंने मणिपुर की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि एक सच्चे 'सेवक' में अहंकार नहीं होता और वह 'गरिमा' बनाए रखते हुए लोगों की सेवा करता है। इसे नरेंद्र मोदी पर निशाना माना गया।
इसके बाद आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार ने जयपुर के पास कनोटा में 'रामरथ अयोध्या यात्रा दर्शन पूजन समारोह' में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कहा था कि जो पार्टी राम की पूजा करती थी, वह अहंकारी हो गई, ऐसे में 2024 के चुनाव में वह सबसे बड़ी पार्टी बन तो गयी, लेकिन जो उसे सत्ता (अकेले पूर्ण बहुमत) मिलनी चाहिए थी, उसे भगवान राम ने अहंकार के कारण रोक दिया। उन्होंने कहा कि जो लोग राम का विरोध करते थे, उनमें से किसी को भी सत्ता नहीं मिली, यहां तक कि सभी को मिलाकर दूसरे नंबर पर खड़ा कर दिया गया।
इसके बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के बीच मतभेद की खबरें सतह पर हैं। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से संघ से बीजेपी के मतभेदों की खबर को और हवा मिली है। उत्तर प्रदेश की 80 सीट में भाजपा को सिर्फ 33 और सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को दो तथा अपना दल (एस) को एक सीट मिली है। कहा जा रहा है कि संगठन के लोगों ने इस बार जमीन पर मेहनत नहीं की।