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लोकसभा चुनाव 2024ः इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, औरैया, कन्नौज, फर्रुखाबाद और आजमगढ़ में सियासी जमीन तैयार कर रहे अखिलेश!, बीजेपी और सपा में सियासी संघर्ष तेज 

By राजेंद्र कुमार | Updated: January 2, 2023 17:32 IST

उत्तर प्रदेशः भाजपा का इरादा आगामी लोकसभा चुनावों में बीते लोकसभा चुनाव में हारी हुई 16 सीटों पर भी झण्डा फहराने का है. भाजपा ने यूपी की सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य तय किया है.

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ठळक मुद्दे भाजपा ने यूपी में हारी हुई 16 सीटों के नतीजों को बदलने पर मेहनत शुरू कर दी है.गृह मंत्री अमित शाह आगामी 16 जनवरी को अम्बेडकर और बलरामपुर में रहेंगे.17 जनवरी को अमित शाह सहारनपुर और बिजनौर का दौरा करेंगे.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच अब हर मसले पर सियासी संघर्ष होने लगा है. यह दोनों ही दल अब सियासी संघर्ष के बीच अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुट गए है.

 

इसके तहत ही सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने यादवलैंड कहे जाने वाले इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, औरैया, कन्नौज, फर्रुखाबाद और आजमगढ़ में अपनी सक्रियता बढ़ायी है. अखिलेश की मंशा है कि उक्त जिलों में आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा को एक भी सीट पर जीत ना हासिल हो.

लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यूपी के 80 सीटों में से 64 सीटें जीती थीं

वही भाजपा का इरादा आगामी लोकसभा चुनावों में बीते लोकसभा चुनाव में हारी हुई 16 सीटों पर भी पार्टी का झण्डा फहराने का है. भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनावों में यूपी की सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य तय किया है. बीते लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यूपी के 80 सीटों में से 64 सीटें जीती थीं.

अब भाजपा ने यूपी में हारी हुई 16 सीटों के नतीजों को बदलने पर मेहनत शुरू कर दी है. इसी क्रम में यूपी के प्रभारी रह चुके केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आगामी 16 जनवरी को अम्बेडकर और बलरामपुर में रहेंगे, फिर 17 जनवरी को वह सहारनपुर और बिजनौर का दौरा करेंगे.

यूपी में भाजपा की इस रणनीति का असफल करने के लिए कमर कसी

इन दो दिनों में अमित शाह यूपी की सभी 80 सीटों को भाजपा की झोली में डालने के लिए पार्टी नेताओं से चर्चा करेंगे और बीते लोकसभा चुनावों में हारी सीटों को जीतने के लिए क्या करना है? यह बताएंगे. वही दूसरी तरफ अखिलेश यादव ने यूपी में भाजपा की इस रणनीति का असफल करने के लिए कमर कस ली है.

मैनपुरी के उपचुनाव में डिंपल यादव को जिताने के बाद से अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति बदली. अब उन्होने अपने चाचा शिवपाल यादव से मेलजोल बढ़ाकर इटावा तथा मैनपुरी के गांवों में लोगों से मिलना शुरू किया है. इसके साथ ही उन्होने मैनपुरी, इटावा, फिरोजाबाद, औरैया, कन्नौज फर्रुखाबाद और आजमगढ़ में अपनी सक्रियता बढ़ाई है.

यादव मतदाताओं का एक बड़ा वोट बैंक

इन जिलों में यादव मतदाताओं का एक बड़ा वोट बैंक है. मुस्लिम व अन्य जातियों की एकजुटता भी इन जिलों में है. यह सब देख समझकर ही अखिलेश यादव ने इन जिलों में वकअत देना शुरू किया है, ताकि भाजपा की पैठ इस इलाके में ना हो सके.

मुलायम सिंह यादव इसी तरह से भाजपा को रोकते थे, उनकी तरह ही अब अखिलेश यादव राजनीति करने में जुट गए हैं. अखिलेश को भरोसा है कि सपा कार्यकर्ताओं के सक्रिय होने पर भाजपा इन जिलों में पैर नहीं पसार सकेगी, इसलिए अब सपा कार्यकर्ता इन जिलों में भाजपा सरकार की नाकामियों का प्रचार गाँव गाँव में करने लग गए हैं.

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