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CM गहलोत का पीएम मोदी पर निशाना, तो वसुंधरा राजे कानून-व्यवस्था को लेकर हुई आक्रामक

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: May 11, 2019 15:43 IST

अशोक गहलोत ने ट्वीट किया कि- प्रधानमंत्री जी इतने बौखला गए हैं, इतने घबरा गए हैं, पिछले 1 सप्ताह से वो जो भाषा बोल रहे हैं, जिस तरह के आरोप लगा रहे हैं, उसको यह देश पसंद नहीं कर रहा. पीएम की भाषा, उनकी शैली, उनकी टिप्पणियों से लोगों में बहुत गुस्सा है, आक्रोश है. इसका नतीजा मोदी जी को चुनाव में भुगतना पड़ेगा.

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ठळक मुद्देसीएम अशोक गहलोत पीएम मोदी पर निशाना साध रहे हैंपूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गहलोत सरकार को घेर रहीं हैं.

राजस्थान में मतदान समाप्त होने के बाद जमीनी चुनावी जंग भले ही समाप्त हो गई हो, लेकिन ट्विटर पर सियासी संग्राम जारी है. जहां सीएम अशोक गहलोत पीएम मोदी पर निशाना साध रहे हैं, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे प्रदेश की कानून व्यवस्था पर गहलोत सरकार को घेर रहीं हैं.

अशोक गहलोत ने ट्वीट किया कि- प्रधानमंत्री जी इतने बौखला गए हैं, इतने घबरा गए हैं, पिछले 1 सप्ताह से वो जो भाषा बोल रहे हैं, जिस तरह के आरोप लगा रहे हैं, उसको यह देश पसंद नहीं कर रहा. पीएम की भाषा, उनकी शैली, उनकी टिप्पणियों से लोगों में बहुत गुस्सा है, आक्रोश है. इसका नतीजा मोदी जी को चुनाव में भुगतना पड़ेगा.

आईएनएस विराट को लेकर पीएम की जो मजाक उड़ी है, पूरा देश और दुनिया देख रही है कि मोदी जी, प्रधानमंत्री स्तर के व्यक्ति द्वारा अपने पद की गरिमा घटाने का जो लेवल बना है, आजादी के बाद आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ. वसुंधरा जी की विदाई यात्रा पूरी हो चुकी है अब मोदी जी की विदाई यात्रा चल रही है.

उधर, राजस्थान की कानून-व्यवस्था को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे आक्रामक हैं, कहती हैं- अलवर, भरतपुर, सीकर, झुंझुनूं सहित राजस्थान भर में बढ़ रही दुष्कर्म की घटनाओं के खिलाफ आपका और मेरा रोष स्वाभाविक है. इन सभी मामलों में हमारी बेटियों के साथ जो दुराचार की वारदातें हुई, वो किसी भी सभ्य समाज को सिहरा देने तथा मानवता तार-तार कर देने के लिए काफी है.

पिछले चार माह में कोई ऐसा अखबार नहीं जिसमें करीब-करीब हर दिन दुष्कर्म की घटना का जिक्र ना हो. यही कारण है कि समाज का आम नागरिक हो या सत्ता से जुड़े लोग, हर कोई ऐसे कठोर कानून का समर्थन करता है, जो मानवता को कलंकित कर देने वाली बर्बर सोच व दुस्साहस पर चोट कर सके.

वे कहती हैं- हमारी भाजपा सरकार ने आवाम के इस दर्द को समझते हुए दुष्कर्म के आरोपियों को मृत्युदंड का प्रावधान किया था, जिसके बाद कई दुष्कर्मियों को त्वरित फांसी की सजा सुनवाकर समाज में सुरक्षा का माहौल प्रस्तुत किया गया.

उनका मानना है कि- हालांकि, ऐसे मामले राजनीति के मुद्दे नहीं होने चाहिए, लेकिन विडंबना देखिए, प्रदेश में जब से सत्ता परिवर्तन हुआ है हमारा राजस्थान अपराध का अड्डा बन चुका है. बदमाशों द्वारा आए दिन दुष्कर्म, हत्या व लूट की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है और कांग्रेस सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है.

एक महिला होने के नाते मेरा राज्य सरकार से अनुरोध है कि ऐसे मामलों को दबाने की बजाय तुरंत संज्ञान लेकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें, क्योंकि कानूनी लचरता के चलते अपराधियों में भय नहीं बल्कि दुस्साहस बढ़ता है, जो पूरी व्यवस्था के लिए अफसोस की बात है.

इसके जवाब में सीएम गहलोत का कहना है कि- अलवर प्रकरण बड़ा गंभीर केस है. दुर्भाग्य से ऐसी घटनाएं राजस्थान में लंबे अरसे से चली आ रही हैं. महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं. हमने निर्णय लिया है अलवर केस को ऑफिसर स्कीम के अंतर्गत ट्रांसफर करेंगे, उसके तहत इसकी पूरी जांच होगी और कोई बख्शा नहीं जाएगा.

सीएम गहलोत का कहना है कि- इन फ्यूचर पूरे राजस्थान के अंदर हर जिले में एक सीईओ लेवल का ऑफिसर सिर्फ और सिर्फ महिलाओं पर अत्याचार के मामलों की मॉनिटरिंग करेगा, उसमें किडनैपिंग भी आती है, रेप केस भी आते हैं, गैंगरेप भी आते हैं, सभी मामले आएंगे, नई पोस्ट क्रिएट की जाएगी और पूरी मॉनिटरिंग होगी.

उनका कहना है कि- घटनाएं जिस रूप में सामने आ रही हैं, तीन-चार जिलों में ज्यादा घटनाएं हो रही हैं. पिछली सरकार ने क्योंकि ध्यान नहीं दिया, हमेशा जो केस नंबर है, एफआईआर नंबर कितने कम-ज्यादा हुए उसके आधार पर गृहमंत्री जी एप्रिशिएट करते गए, हौसला अफजाई करते गए, उसकी वजह से और ज्यादा मुश्किलें बढ़ी हैं.

सरकार बनते ही मैंने निर्देश दिए कि संख्या की चिंता नहीं करें, जो थाने में जाएगा उसकी एफआईआर दर्ज होगी ही. पहले हो रहा था कि एफआईआर दर्ज मत करो जिससे क्राइम की संख्या कम दिखे, जबकि थाने में जाने वाले को महसूस होना चाहिए कि मैं थाने पहुंच गया हूं मतलब मैं अब सुरक्षित हूं मेरे साथ न्याय होगा.

सीएम गहलोत का कहना है कि- थाने में अगर कोई थानेदार एफआईआर दर्ज नहीं करेगा तो हम प्रोविजन कर रहे हैं एसपी ऑफिस में ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि वहां एफआईआर दर्ज हो, फिर उसकी मॉनिटरिंग होगी कि थाने में एफआईआर क्यों नहीं दर्ज हुई और थानेदार के खिलाफ कार्यवाही होगी. इस प्रकार हम कदम उठाएंगे ताकि प्रदेश में क्राइम रेट कम हो.

उनका कहना है कि- तीनों निर्णय जो मैंने लिए हैं, राजस्थान के पुलिस प्रशासन में इंपोर्टेंट निर्णय हैं. एफआईआर एसपी ऑफिस में दर्ज हो सकती है, यदि थाने में नहीं होती है तो, पुलिस ऑफिसर स्कीम के अंदर इस केस को लिया जाएगा और एक सीईओ लेवल के ऑफिसर का काम यही रहेगा कि महिलाओं पर अत्याचार के मामलों को देखे.

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