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Lok Sabha Election 2024: मुख्तार अब्बास के यूपी से लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना, पार्टी सीट को लेकर जल्द लेगी फैसला

By राजेंद्र कुमार | Updated: July 1, 2023 17:49 IST

मुख्तार अब्बास नक़वी के अचानक ही यूसीसी की वकालत करने को उनके लोससभा चुनाव लड़ने की चर्चा की संभावनाओं से जोड़ा जा रहा है। बीते साल 6 जुलाई को मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री पर से उनके इस्तीफा देने के बाद से ही वह राजनीतिक बयानबाजी से दूर हो गए थे।

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ठळक मुद्देमुख्तार अब्बास ने वर्ष 1998 में रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता थातब ये पहली बार हुआ था कि कोई मुस्लिम चेहरा भाजपा के प्रत्याशी के रूप में चुनकर संसद पहुँचा थायूपी की किसी मुस्लिम बाहुल्य सीट से वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ सकते है

लखनऊ: मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मंत्री रहे मुख़्तार अब्बास नकवी यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) की वकालत करते हुए शनिवार को लंबे समय बाद सामने आए. मोदी सरकार के मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद से वह तमाम ज्वलंत मुद्दों पर बोलने से बच रहे हैं। परंतु अब उत्तर प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ने की संभानाओं के मद्दे नजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने यूसीसी का खुलकर समर्थन किया है।

उन्होंने यूसीसी के फायदे गिनाने हुए कहा है कि इस समावेशी सुधार का यही सही समय है। अभी नहीं तो कभी नहीं। यह कहते हुए उन्होंने विपक्षी खासतौर से कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा है कि विपक्ष कांग्रेस के अंतर्विरोध पर अपनी अंतरात्मा की आवाज से अंकुश लगाए। मुख्तार अब्बास का यह भी कहना है कि यूसीसी पर कांग्रेस की भ्रामक और भूलभुलैया नीति से अधिकांश कांग्रेसी कार्यकर्ता, जनप्रतिनिधि और विपक्ष असहमत और आक्रोशित हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री के अनुसार समावेशी सुधार पर सांप्रदायिक सियासत का मुंहतोड़ जवाब “अंतरात्मा की आवाज” है। यूसीसी का पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि आज देश का मूड-माहौल “कम्युनल कारीगरों की क्रिमिनल करतूत से कारागार में कैद” समान नागरिक कानून की रिहाई का है। वह कहते हैं कि वर्ष 1985 में देश ने कांग्रेस के लम्हों की खता के चलते दशकों सजा भुगती थी, जब कांग्रेस ने शाहबानो मामले में संसद में अपनी संख्या बल को समावेशी सुधार पर सांप्रदायिक वार के जरिए इस्तेमाल किया था।

कांग्रेस पर हमला करते हुए नकवी ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि कांग्रेस गलती सुधारने के बजाय दोहराने में लगी है। मुख्तार अब्बास के अनुसार समावेशी सुधार पर सांप्रदायिक सियासत का मुंहतोड़ जवाब अंतरात्मा की आवाज है। यूसीसी का पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि आज देश का मूड-माहौल कम्युनल कारीगरों की क्रिमिनल करतूत से कारागार में कैद समान नागरिक कानून की रिहाई का है।

मुख्तार एक ही बार चुनाव जीते हैं

मुख्तार अब्बास नक़वी के अचानक ही यूसीसी की वकालत करने को उनके लोससभा चुनाव लड़ने की चर्चा की संभावनाओं से जोड़ा जा रहा है। बीते साल 6 जुलाई को मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री पर से उनके इस्तीफा देने के बाद से ही वह राजनीतिक बयानबाजी से दूर हो गए थे। पार्टी ने भी उन्हे इस दौरान कोई महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी नहीं दी, ऐसे में जब शनिवार को उन्होने यूसीसी की वकालत करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा तो इसके मतलब निकले जाने लगे।

कहा जा रहा है कि मुख्तार अब्बास यूपी की किसी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे जिसके तहत ही वह सक्रिय हुए हालांकि चुनावी राजनीति से वह काफी पहले ही अलग हो गए थे। मुख्तार अब्बास ने वर्ष 1998 में रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता था। तब ये पहली बार हुआ था कि कोई मुस्लिम चेहरा भाजपा के प्रत्याशी के रूप में चुनकर संसद पहुँचा था। वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री बने।

इसके बाद मोदी सरकार में भी उन्हे मंत्री बनाया गया। फिर पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि उन्हे 6 जुलाई 2022 को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देने को कह दिया गया। इसके बाद से वह पार्टी के आदेश के इंतजार में बैठे थे। दो किताबें स्याह और दंगा लिखने वाले मुख्तार अब्बास नक़वी को लालकृष्ण आडवाणी जी का समर्थक माना जाता है। वह काफी सुलझे हुए नेता हैं और यूपी की किसी मुस्लिम बाहुल्य सीट से उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी चुनाव लड़ाएगी। भाजपा नेताओं ने शनिवार को यह संभावना जताई है। उन्हें किस सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है, इसका फैसला भी जल्दी होने की बात कही जा रही है।

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