प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने आदर्श ग्राम योजना को 2015 में लांच किया था. जिसके तहत सभी सांसदों को अपनी इच्छानुसार एक गाँव को गोद लेना था और उसकी तस्वीर बदलनी थी. लेकिन आज 4 साल के बाद बीजेपी सांसदों द्वारा गोद लिए गए अधिकतर गाँव उसी बदहाली का सामना कर रहे हैं जो 5 साल पहले कर रहे थे.
पीएम मोदी ने भी इस योजना के तहत दो गांवों जयापुर और नागेपुर को गोद लिया था. तमाम मीडिया रिपोर्टों में इन गांवों में विकास कार्यों की समीक्षा की गई है. पीएम द्वारा गोद लिए गए गाँव का हाल बाकी सांसदों के मुकाबले बेहतर दिखता है.
स्वच्छता के पैमाने से लेकर साफ़ पेय जल हो या प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना की बात हो, इन दोनों गाँव में लोगों को पीएम द्वारा कराये गए विकास कार्यों से फायदा पहुंचा है.
जयापुर गाँव के मुसहर टोले में 14 परिवारों के पास घर नहीं था. इनकी जिंदगी झुग्गियों में बसती थी. मुंबई की एक कंपनी अलाना संस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा सोशल कॉर्पोरेट रेस्पोंसिबिलिटी के तहत 14 घरों का निर्माण कराया गया है. रसोई, बाथरूम और शौचालय सभी घरों में मौजूद हैं. इसे मोदी जी का 'अटल नगर' नाम दिया गया है.
बिज़नेस स्टैण्डर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम के आदर्श गाँव में कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी(CSR) के तहत भी काम हुआ है.
वेदांता ग्रुप ने आंगनवाड़ी भवन का निर्माण किया है.
महिलाओं को स्वास्थय के मुद्दे पर जागरूक करने के लिए आंगनवाड़ी महिलाओं का एक मजबूत और प्रशिक्षित नेटवर्क है.
हैंडपंप, कौशल विकास केंद्र, अटल नगर और आवास योजना का लाभ ग्रामीणों को मिल रहा है. लेकिन इसी रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि मनरेगा की मजदूरी पिछले एक वर्ष से समय पर जारी नहीं हो रहा है.
पंजाब नेशनल बैंक किसान ट्रेनिंग सेंटर का संचालन कर रहा है.
पीएम द्वारा लांच किए गए तमाम योजनाओं का धरातल पर सही ठहराव जयापुर में देखने को मिलता है. लेकिन अभी भी ऐसे कई वादें हैं जो डेडलाइन खत्म होने के बाद भी फंड की बाट जोह रहे हैं.