अब शायद दुनिया भर को मजदूरों की अहमियत पता चल रही है. लॉकडाउन की वजह से देश भर में फंसे मजदूरों की घर वापसी के बीच झारखंड देश का पहला राज्य है जो अपने मजदूरों को एयरलिफ्ट कर रहा है. झारखंड सरकार ने लेह-लद्दाख में फंसे मजदूरों को एयरलिफ्ट का दूसरा और तीसरा चरण आज लेह से शुरू कर दिया है. लेह से मजदूरों के लेकर आने वाली फ्लाइट्स 8 और 9 जून को रांची में लैंड करेंगी.
कहां फंसे है मज़दूर
झारखंड के 115 मजदूर बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के नुब्रा घाटी, दिस्कित और चुनथुग में चल रहे प्रोजेक्ट में फंसे हैं. इन मज़दूरों को फ्लाइट्स के जरिए झारखंड वापस लाया जा रहा है. झारखंड सरकार लेह-लद्दाख के दूर दराज के इलाके में कुल कुल 208 प्रवासी मजदूरों को एयर लिफ्ट कर रही है.
क्या कहते हैं मज़दूर
एयरलिफ्ट किए जाने से खुश लेह एयरपोर्ट पर इंतज़ार कर रहे झारखंड के दुमका निवासी एक मजदूर ने बताया "थोड़ी ही देर में हम लोग लेह से दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे. हम लोग यहां सितंबर में आए थे. अब हम झारखंड वापस जा रहे है." ये मज़दूर स्पाइजेट की फ्लाइट से दिल्ली लाए जाएंगे.
विमान से कब-कब आए मज़दूरइससे पहले झारखंड सरकार सरकारी खर्च पर लेह से 60 मजदूर और फिर अंडमान से 180 मजदूरों को एयरलिफ्ट कर झारखंड वापस लाई थी. सबसे पहले एयरलिफ्ट मुंबई में फंसे 174 झारखंड के मज़दूरों का हुआ था जब नेशनल लॉ स्कूल बेंगलुरु के स्टूडेंट्स ने 11 लाख रुपये चंदा कर मुंबई से उन्हें रांची भेजा था.
हेमंत सोरेन ने मांगी कॉर्पोरेट घरानों से मदद
इससे पहले 1 जून को झारखंड के सीएम हेमंत सोरेने ने मजदूरों को झारखंड वापस लाने में उद्योगपतियों और कॉर्पोरेट घराने से मदद मांगी थी. हेमंत सोरेन ने अपील करते हुए कहा था " हमारी सरकार अपने कामगारों को लेह-लद्दाख और अंडमान से वापस ला रही है. हमारे कई मज़दूर अब भी दुर्गम इलाकों में फंसे हुए हैं."
हेमंत सोरेन की इस अपील पर दिल्ली की एक निजी कंपनी इंटरलिंक फूड प्राइवेट लिमिटेड ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में फंसे 180 मज़दूरों को झारखंड वापस लाने के लिए हाथ मिलाया था. 4 जून को चार्टर प्लेन से 180 मज़दूर पोर्टब्लेअर से रांची पहुंचे थे .