Lateral Recruitment 2024: शासन की सुगमता के लिए नयी प्रतिभाओं को शामिल करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों के प्रमुख पदों पर जल्द ही 45 विशेषज्ञ नियुक्त किए जाएंगे। आमतौर पर ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) - और अन्य ग्रुप ए सेवाओं के अधिकारी होते हैं।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने शनिवार को 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया, जिनमें 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव के पद शामिल हैं। इन पदों को अनुबंध के आधार पर ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से भरा जाना है। विज्ञापन में कहा गया, ‘‘भारत सरकार संयुक्त सचिव और निदेशक/उप सचिव स्तर के अधिकारियों की लेटरल एंट्री के जरिये नियुक्ति करना चाहती है।
इस तरह, राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के आकांक्षी प्रतिभाशाली भारतीय नागरिकों से संयुक्त सचिव या निदेशक/उप सचिव के स्तर पर सरकार में शामिल होने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं।’’ विभिन्न मंत्रालयों, विभागों में रिक्तियों को अनुबंध के आधार पर तीन साल की अवधि के लिए (प्रदर्शन के आधार पर पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है) आवेदन यूपीएससी की वेबसाइट के माध्यम से 17 सितंबर तक किए जा सकते हैं। गृह, वित्त और इस्पात मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों के 10 पद हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण, नागर विमानन और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों में निदेशक/उप सचिव स्तर के 35 पद भरे जाएंगे। केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के स्तर पर ‘लेटरल एंट्री’ भर्ती 2018 से ही की जा रही है, ताकि विशिष्ट कार्य के लिए व्यक्तियों की नियुक्ति की जा सके।
इसमें संबंधित क्षेत्र में व्यक्ति के विशेष ज्ञान और विशेषज्ञता को ध्यान में रखा जाता है। इन स्तरों पर अधिकारी नीति-निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अब तक ‘लेटरल एंट्री’ के जरिए 63 नियुक्तियां की गई हैं, जिनमें से 35 नियुक्तियां निजी क्षेत्र से हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस समय 57 अधिकारी मंत्रालयों, विभागों में विभिन्न पदों पर हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र में ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से भर्ती अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को आरक्षण से दूर रखने की मोदी सरकार की साजिश है। उन्होंने एक विज्ञापन का हवाला दिया जिसमें 45 पदों पर लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए हैं।
खड़गे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘संविधान को तार-तार करती भाजपा ने किया आरक्षण पर डबल वार। पहला, आज मोदी सरकार ने केंद्र में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के कम से कम 45 पद लेटरल एंट्री द्वारा भरने का विज्ञापन निकाला है। क्या इसमें एससी,एसटी, ओबीसी एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का आरक्षण है?’’
उन्होंने यह आरोप लगाया कि सोची समझी साज़िश के तहत भाजपा जानबूझकर नौकरियों में ऐसे भर्ती कर रही है, ताकि आरक्षण से एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों को दूर रखा जा सके। खरगे ने कहा, ‘‘दूसरा, उत्तर प्रदेश में 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण घोटाले का अब हाईकोर्ट के फैसले से पर्दाफ़ाश हो चुका है।
राहुल गांधी ने मार्च 2024 में दलित और पिछड़े वर्ग में आरक्षण घोटाले में प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर वंचित अभ्यर्थियों की आवाज़ उठाई थी। योगी सरकार ने अभ्यर्थियों से नाइंसाफ़ी करते हुए ये पद भरे थे, जिसमें दलित और पिछड़े वर्ग का आरक्षण का संवैधानिक हक़ उनसे छीना गया।’’
उनका कहना था, ‘‘अब हमें पता चला की भाजपा की सहयोगी दल की केंद्रीय मंत्री ने नौकरियों में आरक्षण पर हो रही धांधली पर सरकार का ध्यान क्यों आकृष्ट कराया था।’’ खरगे ने कहा, ‘‘भारत के संविधान में निहित आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय के प्रावधानों को पूर्णतः लागू करना आवश्यक है। कांग्रेस पार्टी इसीलिए सामाजिक न्याय के लिए जातिगत जनगणना की मांग कर रही है।’’