लालू के साले साधु ने भांजे तेजस्वी पर किया जबरदस्त हमला, बोले- "जो लोग सरकार बनाते हैं, वो अहंकारी और घमंडी हो जाते हैं"
By एस पी सिन्हा | Published: October 23, 2022 03:55 PM2022-10-23T15:55:54+5:302022-10-23T16:06:29+5:30
गोपालगंज उपचुनाव को लेकर साधु यादव ने लालू परिवार पर बिना नाम लिए जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि कुछ लोग घमंड और अहंकार में आ गए हैं कि उन्हें कोई हराने वाला नहीं है।
पटना: बिहार विधानसभा की दो सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव को लेकर सियासत गर्मा गई है। गोपालगंज सीट से राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के हाई प्रोफाइल साले साधु यादव ने अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा है। इसी कड़ी में साधु यादव ने लालू परिवार पर बिना नाम लिए जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि कुछ लोग घमंड और अहंकार में आ गए हैं कि उन्हें कोई हराने वाला नहीं है, जबकि हकीकत यह है कि वे ज्यादा अहंकार और घमंड में नहीं रहे। सरकार जो लोग बनाते हैं न, उन्हें अहंकार और घमंड हो जाता है।
साधु यादव ने कहा कि मैं जानता हूं। जनता के बीच कभी भी हमारा कहीं अहंकार नहीं रहा। जो पहले थे, आज भी वहीं रहेंगे जनता के लिए। उन्होंने कहा कि जो लोग भाषण दे रहे हैं न इस बार सबकी पोल खुल जाएगी। हमारी भी और उनकी भी। असल में कुछ लोग जनता को दिग्भ्रमित करते हैं। हम ही ने उन्हें कुर्ता पायजामा दिया। पहनाना भी हमने ही सिखाया है, सभी को ट्रेनिंग दिए। अब यही लोग मेरे खिलाफ घूम-घूम कर लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं।
गोपालगंज उपचुनाव को तेजस्वी यादव के लिए लिटमस टेस्ट बताये जाने पर साधु यादव ने कहा कि ये कोई लिटमस टेस्ट का चुनाव नहीं है। मेरा जन्मस्थली यही है। मेरी पढ़ाई, शिक्षा सब यहीं हुई है। ऊ लोग यहां कभी रहे ही नहीं हैं। यहां के लोगों के बीच ऊ लोग कभी चुनाव ही नहीं लड़े हैं। हवा बनाने से कुछ नहीं होगा। यहां के लोगों को वे पहचानते भी हैं क्या? जीत जाने के बाद यहां के लोगों के लिए उनका दरवाजा खुलेगा।
साधु यादव चुनाव में अपनी पत्नी की जीत को लेकर आश्वस्त हैं। वह कहते हैं- हम जहां भी जा रहे हैं, जनता सीधे यही कहती है कि सब काम रउए कइले बानी। बाकी कोई नइखे। 2020 में सारा वोट आप ही को दिए थे, लेकिन नहीं पता ई (सुभाष सिंह) कैसे जीत गए? लेकिन इस बार ये गलती नहीं होगी। इस बार सारा वोट आपको ही मिलेगा।
साधु यादव ने कहा कि जब हम यहां थे, तब अस्पताल में डॉक्टर अच्छे से इलाज किया करते थे। दवा-इलाज सब हुआ करता था। अस्पताल यहां मैंने ही बनाया, लेकिन अब यहां न इलाज होता है और न डॉक्टर हैं। अभी एमए की पढ़ाई यहां नहीं होती है। अगर हम आएं तो यहां इस बार यूनिवर्सिटी खुलवाएंगे। अगर यूनिवर्सिटी नहीं खुलवा पाए तो गोपालगंज में दोबारा कदम नहीं रखेंगे।