ललित गर्ग का ब्लॉगः सांसदों का अभद्र आचरण कब तक?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 7, 2019 05:09 IST2019-01-07T05:09:26+5:302019-01-07T05:09:26+5:30

पिछले दस साल में संसद की सालाना बैठकें औसतन 70 से भी कम रह गई हैं. ऐसे में सदन के कामकाज को बाधित करना तो और भी क्षुब्ध करता है.

Lalit Garg's blog: How long does the indecent behavior of MPs? | ललित गर्ग का ब्लॉगः सांसदों का अभद्र आचरण कब तक?

फाइल फोटो

Highlightsविरोध स्वरूप संसद में मिर्च पाउडर स्प्रे करने की घटना बहुत ज्यादा पुरानी नहीं हुई है, जो बताती है कि संसदीय कार्यवाही का सीधा प्रसारण भी सांसदों को इस प्रकार के अनुचित आचरण से मुक्त नहीं कर पाया है.क्या उम्मीद करें कि एक साथ इतने सांसदों का निलंबन हमारे जनप्रतिनिधियों की अंतर्चेतना को झकझोरने का काम करेगा. क्या सांसद संसद के अंदर अपना आचरण सुधारने के लिए अग्रसर होंगे.

संसद राष्ट्र की सर्वोच्च संस्था है. देश का भविष्य संसद के चेहरे पर लिखा होता है. यदि वहां भी शालीनता भंग होती है तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्न होने के गौरव का आहत होना निश्चित है. एक बार फिर ऐसी ही त्नासद स्थितियों के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्ना महाजन को पिछले दिनों कुल 45 सांसदों को सत्न की बची हुई बैठकों से निलंबित करने का कठोर फैसला लेना पड़ा है. इस तरह का कठोर निर्णय हमारे सांसदों के आचरण पर एक ऐसी टिप्पणी है, जिस पर गंभीर चिंतन-मंथन की अपेक्षा है.

निश्चित ही छोटी-छोटी बातों पर अभद्र एवं अशालीन शब्दों का व्यवहार, हो-हल्ला, छींटाकशी, हंगामा, बहिर्गमन आदि घटनाओं का संसद के पटल पर होना दुखद है. इससे संसद की गरिमा एवं मर्यादा को गहरा आघात लगता है.  सांसदों के निलंबन की घटनाएं रह-रह कर होती रहती हैं. निलंबन की सबसे बड़ी घटना वर्ष 1989 में हुई, तब इंदिरा गांधी की हत्या की जांच से संबंधित ठक्कर आयोग की रिपोर्ट संसद में रखे जाने के मुद्दे पर हुए हंगामे के दौरान तत्कालीन लोकसभाध्यक्ष द्वारा 63 सांसदों को निलंबित किया गया.

अगस्त 2015 में कांग्रेस के 25 सदस्यों को काली पट्टी बांधने एवं कार्यवाही बाधित करने पर निलंबित किया गया था. फरवरी 2014 में लोकसभा के शीतकालीन सत्न में 17 सांसदों को निलंबित किया गया था. अगस्त 2013 में मानसून सत्न के दौरान कार्यवाही में रुकावट पैदा करने के लिए 12 सांसदों को निलंबित किया गया. सांसद चाहे जिस दल के हों, उनसे शालीन एवं सभ्य व्यवहार की अपेक्षा की जाती है. घोर विडंबनापूर्ण है कि सांसदों के दूषित व्यवहार के कारण हमारी संसद की कामकाज की अवधि ही घट गई है.

पिछले दस साल में संसद की सालाना बैठकें औसतन 70 से भी कम रह गई हैं. ऐसे में सदन के कामकाज को बाधित करना तो और भी क्षुब्ध करता है. विरोध स्वरूप संसद में मिर्च पाउडर स्प्रे करने की घटना बहुत ज्यादा पुरानी नहीं हुई है, जो बताती है कि संसदीय कार्यवाही का सीधा प्रसारण भी सांसदों को इस प्रकार के अनुचित आचरण से मुक्त नहीं कर पाया है. क्या उम्मीद करें कि एक साथ इतने सांसदों का निलंबन हमारे जनप्रतिनिधियों की अंतर्चेतना को झकझोरने का काम करेगा. क्या सांसद संसद के अंदर अपना आचरण सुधारने के लिए अग्रसर होंगे.

संसद हो या राष्ट्र, उसका नैतिक पक्ष सशक्त होना चाहिए. किसी भी राष्ट्र की ऊंचाई वहां की इमारतों की ऊंचाई से नहीं मापी जाती बल्कि वहां के शासकों एवं जनप्रतिनिधियों के चरित्न से मापी जाती है. उनके काम करने के तरीके से मापी जाती है. जरूरत इस बात की है कि सांसद विरोध का मर्यादित एवं सभ्य तरीका अपनाएं.

Web Title: Lalit Garg's blog: How long does the indecent behavior of MPs?

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे