कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि ‘‘असम एनआरसी घटनाक्रम’’ के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार ने तुरंत ‘‘गियर बदल लिया’’ और अब एनपीआर की बात कर रही है।
यहां संवाददाताओं से चिदंबरम ने कहा कि एनपीआर ‘‘और कुछ नहीं बल्कि एनआरसी का ही छद्म रूप है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजीस्टर (एनपीआर) की गलत मंशा से लड़ना और उसके खिलाफ जनता के विचार को गति देना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा रूख स्पष्ट है कि हम अप्रैल 2020 से शुरू हो रहे एनपीआर पर सहमत नहीं होंगे।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि सीएए की संवैधानिक वैधता उच्चतम न्यायालय को तय करनी है। चिदंबरम ने कहा, ‘‘हम एनआरसी और सीएए के खिलाफ लड़ रहे हैं। अभी एक साथ तो कभी अलग-अलग। महत्वपूर्ण बात यह है कि हम लड़ रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एनपीआर, सीएए और एनआरसी के खिलाफ लड़ रही सभी पार्टियों को साथ आना चाहिए और मुझे विश्वास है कि वे आएंगे।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा विपक्ष की आवाज दबाने में असफल रही है और उसे लगता है कि यह वक्त निकल जाएगा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कोलकाता में मोदी सरकार पर हमला बोला। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि CAA, NPR, NRC का विरोध करने वाले सभी दल साथ आएं। कांग्रेस नेता ने कहा कि एनआरसी का ही छद्म रूप है एनपीआर। हम भारत के संविधान की रक्षा करने के लिए लड़ रहे हैं। सीएए, एनपीआर और एनआरसी का विरोध कर रही सभी पार्टियों को साथ आना चाहिए। मुझे गर्व है कि छात्र संवैधानिक सम्प्रभुता और संवैधानिक नैतिकता जैसी अमूर्त चीजों के लिए लड़ रहे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर अपने आलोचकों से बात नहीं करते। पूर्व गृहमंत्री ने यह भी कहा कि मोदी को अपने कुछ प्रमुख आलोचकों के सवालों का जवाब देने चाहिए ताकि लोग इस कानून को लेकर किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकें।
उन्होंने ट्वीट किया, ''प्रधानमंत्री कहते हैं कि सीएए नागरिकता लेने के लिए नहीं, बल्कि देने के लिए है। बहुत लोगों का मानना है कि सीएए एनपीआर और एनआरसी से जुड़ा हुआ है तथा यह बहुत लोगों को गैर नागरिक घोषित कर देगा और उनकी नागरिकता छीन लेगा।''
चिदंबरम ने आरोप लगाया, ''प्रधानमंत्री अपने आलोचकों से बात नहीं कर रहे हैं। आलोचकों के पास प्रधानमंत्री से बात करने का अवसर नहीं है।'' उन्होंने कहा, "एक ही तरीका है कि प्रधानमंत्री अपने सबसे पांच मजबूत आलोचकों का चयन करें और टेलीविजन पर सवाल-जवाब हो। लोगों को चर्चा सुनने दें और सीएए पर निष्कर्ष तक पहुंचने दें।"