पुरी: जगन्नाथ मंदिर के ‘रत्न भंडार ’ की चाभी गायब, हाईकोर्ट के आदेश पर 34 साल बाद कक्ष में दाखिल हुई थी विजिलेंस टीम
By भाषा | Published: June 4, 2018 08:21 AM2018-06-04T08:21:26+5:302018-06-04T08:36:36+5:30
ओडिशा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ‘रत्न भंडार ’ कक्ष में चार अप्रैल को कड़ी सुरक्षा के बीच 16 सदस्यों वाली एक टीम ने 34 साल के बाद यहां जांच के लिए प्रवेश किया था। इसका शंकराचार्य और बीजेपी कड़ा विरोध कर रहे हैं।
भुवनेश्वर/पुरी, 4 जून: पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के खजाने की चाभी कथित तौर पर गायब हो गई है। इसको लेकर पुरी के शंकराचार्य और राज्य में विपक्षी दल भाजपा ने इस घटना पर विरोध जताया है।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य रामचंद्र दास महापात्रा ने बताया कि समिति की चार अप्रैल को हुई बैठक में यह बात बताई गई थी कि रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष की चाभी गायब हो गई है।
ओडिशा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ‘रत्न भंडार ’ कक्ष में चार अप्रैल को कड़ी सुरक्षा के बीच 16 सदस्यों वाली एक टीम ने 34 साल के बाद यहां जांच के लिए प्रवेश किया था।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन के एक अधिकारी ने बताया कि जांच टीम के सदस्यों को आंतरिक कक्ष में प्रवेश करने की जरूरत नहीं थी क्योंकि यह बाहर से एक लोहे के ग्रील के माध्यम से दिखता है। दास महापात्र ने पीटीआई-भाषा को बताया कि न तो मंदिर प्रशासन और न ही पुरी जिला कोषागार के पास आंतरिक कक्ष की चाभी है।
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इस बात का पता दो महीने बाद चला है। पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने आज इस घटना के लिए ओडिशा सरकार की आलोचना की। वहीं भाजपा ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से इस घटना पर स्पष्टीकरण देने की मांग की है।
शंकराचार्य ने कहा कि यह घटना बताती है कि राज्य सरकार और मंदिर प्रशासन अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में नाकाम रही। राज्य में भाजपा के प्रवक्ता पीतांबर आचार्य ने संवाददाताओं को बताया , “ मुख्यमंत्री को इसके लिए स्पष्टीकरण देना चाहिए कि चाभी कैसे गायब हुई और इसके लिए कौन जिम्मेदार है।” ओडिशा उच्च न्यायालय 2016 से मंदिर में एएसआई द्वारा हो रहे पुनरुद्धार कार्य पर निगरानी रख रहा है।