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केरल विश्वविद्यालय छात्राओं को देगा छह महीने का मातृत्व अवकाश, लाभार्थि छात्राओं को पेश करना होगा मेडिकल प्रमाणपत्र

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: March 7, 2023 15:16 IST

केरल विश्वविद्यालय के कुलपति मोहनन कुन्नुमल ने संबंधित सभी कॉलेजों के प्राचार्य के साथ हुई बैठक में यह फैसला लिया कि छह महीने मातृत्व अवकाश लाभ लेने वाली छात्राओं के द्वारा पेश किये मेडिकल प्रमाणपत्रों के आधार पर उन्हें फिर से कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी।

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ठळक मुद्देकेरल विश्वविद्यालय 18 वर्ष से अधिक उम्र की छात्राओं के देगा छह महीने का मातृत्व अवकाशमातृत्व अवकाश का लाभ लेने के लिए छात्राओं को मेडिकल प्रमाणपत्र पेश करना होगामातृत्व अवकाश लेने वाली छात्रा को बिना पठन-पाठन किये कक्षाओं में शामिल किया जाएगा

तिरुवनन्तपुरम: केरल विश्वविद्यालय ने घोषणा की है कि उनके यहां पढ़ने वाली 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिला छात्राएं छह महीने तक का मातृत्व अवकाश लाभ उठा सकती हैं। विश्वविद्यालय ने यह फैसला बीते रविवार को कुलपति मोहनन कुन्नुमल की अध्यक्षता में हुई वार्षिक बैठक में लिया।

जानकारी के अनुसार बैठक में इस महत्वपूर्ण फैसले के साथ यह भी निर्णय लिया गया कि मातृत्व अवकाश लेने वाली किसी भी छात्रा को बिना पठन-पाठन किये कक्षाओं में शामिल किया जाएगा। विश्वविद्यालय से संबंधित सभी कॉलेजों के प्राचार्य के साथ हुई इस बैठक में तय किया गया कि मातृत्व अवकाश का लाभ लेने वाली छात्राओं द्वारा पेश किये गये मेडिकल प्रमाणपत्रों के आधार पर फिर से कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दे दी जाएगी।

मालूम हो कि इससे पहले जनवरी 2023 में केरल के उच्च शिक्षा मंत्री आर बिंदू ने घोषणा की थी कि केरल राज्य से संबद्ध सभी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाली महिला छात्राओं को आवश्यकता होने पर 60 दिनों का मातृत्व अवकाश देना होगा। इसके साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने एक और क्रांतिकारी कदम लेते हुए ऐलान किया था कि उच्च शिक्षा विभाग के तहत आने वाले राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में छात्राओं को मासिक धर्म के अवकाश का लाभ मिलेगा।

केरल उच्च शिक्षा मंत्रालय द्वारा लिये फैसले के बाद कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (सीयूएसएटी) ने भी अपने यहां पढ़ने वाली छात्राओं के लिए मासिक धर्म की अवधि के दौरान छुट्टी देने का नियम बनाया। शिक्षा मंत्रालय द्वारा इस संबंध में बयान जारी किये गये बयान में कहा गया था कि मासिक धर्म के दौरान छात्राओं को होने वाली मानसिक और शारीरिक कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए सभी विश्वविद्यालयों में मासिक धर्म की छुट्टी लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

सीयूएसएटी ने छात्राओं की लंबे समय से चली आ रही मांग को ध्यान में रखते हुए 11 जनवरी को आदेश जारी किया कि प्रत्येक सेमेस्टर में महिला छात्राओं की उपस्थिति में कमी के लिए अतिरिक्त दो प्रतिशत की छूट दी जाएगी और यह आदेश सीयूएसएटी में पीएचडी करने वाली छात्राओं सहित सभी सभी छात्राओं पर भी लागू होगा।

टॅग्स :केरलUniversityतिरुवनंतपुरम
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