केरल के राज्यपाल का दहेज के खिलाफ एक दिन का उपवास; कांग्रेस, भाजपा ने राज्य सरकार की निंदा की

By भाषा | Published: July 14, 2021 09:56 PM2021-07-14T21:56:08+5:302021-07-14T21:56:08+5:30

Kerala Governor's one-day fast against dowry; Congress, BJP condemned the state government | केरल के राज्यपाल का दहेज के खिलाफ एक दिन का उपवास; कांग्रेस, भाजपा ने राज्य सरकार की निंदा की

केरल के राज्यपाल का दहेज के खिलाफ एक दिन का उपवास; कांग्रेस, भाजपा ने राज्य सरकार की निंदा की

तिरुवंनतपुरम, 14 जुलाई केरल में दहेज हत्याओं और इस समस्या पर गरमागरम बहस शुरू होने के कुछ ही दिन बाद प्रदेश के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने दहेज प्रथा के खिलाफ सामाजिक जागरूकता पैदा करने और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार खत्म किए जाने के लिए यहां अपने आधिकारिक आवास राजभवन में बुधवार को एक दिवसीय उपवास रखा।

दक्षिणी राज्य के इतिहास में शायद यह पहली बार है, जब राज्यपाल इस तरह के सामाजिक मुद्दे के लिए उपवास कर रहे हैं।

नया अध्याय लिखते हुये खान ने अपने सरकारी आवास राजभवन में सुबह आठ बजे उपवास शुरू किया और लोगों से इस सामाजिक बुराई को ‘नहीं’ कहने की अपील की । राज्यपाल शाम को यहां गांधी भवन में आयोजित प्रार्थना सभा में भी शामिल हुए। खान ने गांधी भवन में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अपना अनशन समाप्त किया।

गांधी भवन में एक सभा को संबोधित करते हुए, खान ने कहा कि वह सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने का आग्रह करेंगे कि प्रत्येक छात्र, अपनी अंतिम डिग्री या डिप्लोमा का प्रमाण पत्र लेने से पहले, एक वचन पत्र पर हस्ताक्षर करे कि दहेज लेना या देना एक अपराध है और वे इस तरह कृत्यों में शामिल नहीं होंगे। खान केरल में विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं।

राज्यपाल ने सभी जनप्रतिनिधियों से यह भी आग्रह किया कि जब उन्हें विवाह में शामिल होने का कोई निमंत्रण मिले तो वे सुनिश्चित करें कि उसमें कोई लेन-देन या दहेज की मांग नहीं हो। खान ने कहा अगर उन्हें पता चले कि ऐसी बातें हो रही हैं, तो उनमें यह कहने की हिम्मत होनी चाहिए कि वे शादी में शामिल नहीं होंगे।

उन्होंने कहा कि दहेज के खिलाफ लड़ने के लिए लड़कियों को भी सशक्त बनाया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा, “ अगर उन्हें पता चले कि लड़का पक्ष दहेज की मांग कर रहा है, तो माता-पिता जो भी कहें, उसमें इस तरह के प्रस्ताव को ना कहने का साहस होना चाहिए।”

बाद में, पत्रकारों से बात करते हुए, खान ने कहा कि राजनीतिक नेताओं और गैर-राजनीतिक नेताओं सहित सभी वर्ग के लोग दहेज के खतरे से चिंतित हैं। राज्य में हाल ही में दर्ज हुए दहेज से संबंधित अपराधों पर किए गए एक सवाल के जवाब में, खान ने कहा कि यह दलगत मुद्दा नहीं है।

उन्होंने कोई भ्रम पैदा न करने का आग्रह करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और विपक्षी पार्टी के नेताओं ने दहेज के खिलाफ सामाजिक जागरूकता पैदा करने के उनके फैसले का समर्थन किया है।

राज्यपाल ने कहा, “ एक बात तो तय है कि सिर्फ कानून, केवल पुलिस इस खतरे को नियंत्रित और खत्म नहीं कर सकती है। इसलिए, हमें लोगों की ओर से भी कुछ कार्रवाई की जरूरत है। इसके लिए हमें जागरूकता पैदा करनी है। जागरूकता पैदा करने से ही सरकार और पुलिस मजबूत होगी।"

राज्यपाल विवाह में दहेज लेने और देने की प्रथा के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न गांधीवादी संगठनों के आह्वान के बाद यह उपवास कर रहे हैं।

पिछले महीने खान ने युवतियों से दहेज के लिए मना करने की भावनात्मक अपील की थी और इस सामाजिक बुराई के खिलाफ जागरूकता पैदा करने के लिए किसी भी ‘‘संगठित’’ स्वैच्छिक आंदोलन का हिस्सा बनने की इच्छा व्यक्त की थी।

आयुर्वेद की छात्रा विस्मया के परिजनों से मुलाकात के बाद उन्होंने यह प्रतिक्रिया दी थी । विस्मया हाल ही में कोल्लम जिले में अपने पति के घर में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पायी गयी थी । इससे पहले उसने दहेज के लिये परेशान किये जाने की शिकायत की थी ।

दहेज को एक ‘बुराई’ करार देते हुये खान ने कहा था कि इसके खिलाफ सामाजिक जागरूकता पैदा की जानी चाहिये और गैर सरकारी संगठनों तथा स्वयं सेवकों को इसके खिलाफ आंदोलन चलाना चाहिए।

सोमवार की शाम को जारी वीडियो संदेश में खान ने कहा कि दहेज ‘‘महिलाओं की गरिमा के लिए घोर अन्याय और अपमान’’ है, जिनका केरल के विकास में योगदान व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है।

इस बीच, विपक्षी दल कांग्रेस और भाजपा ने जागरूकता बढ़ाने के लिए 'गांधीवादी मार्ग' अपनाने के राज्यपाल के कदम का समर्थन किया।

साथ ही उन्होंने प्रदेश की माकपा नीत सरकार की इस मुद्दे पर आलोचना की और आरोप लगाया कि महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में पिनराई विजयन सरकार के विफल रहने के कारण ही अधिकारियों की आंखें खोलने के लिए राज्यपाल को उपवास करना पड़ा।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं केन्द्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘‘ केरल की महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपवास रखने वाले राज्यपाल को बधाई।’’

इस तरह के मुद्दे उठाने के लिए खान की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह देश के प्रशासनिक इतिहास में एक ‘‘दुर्लभ प्रकरण’’ हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार को यह पता लगाने की जरूरत है कि आखिर राज्य के मुखिया राज्यपाल को महिलाओं की सुरक्षा के लिए उपवास क्यों करना पड़ा।

केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के. सुधाकरन ने दावा किया कि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में राज्य सरकार के नाकाम रहने के कारण राज्यपाल को उपवास करना पड़ा।

राज्यपाल के उपवास को ‘‘दुर्लभ कदम’’ बताते हुए उन्होंने कहा कि खान ने एक ‘‘सही मुद्दा’’ उठाया है और उनका आंदोलन ‘‘सार्थक’’ है।

कन्नूर के सांसद ने कहा, ‘‘ केरल में हालात ऐसे हैं कि राज्यपाल को आंदोलन के लिए गांधीवादी तरीका अपनाना पड़ रहा है। राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट सकती।’’

इस बीच, गांधी भवन में भी सुबह से शाम तक अनशन चला, जहां कई गांधीवादियों ने ‘गांधी स्मारक निधि’ और ऐसे ही अन्य संगठनों के तत्वावधान में अभियान में हिस्सा लिया।

गांधीवादी संगठनों ने बताया कि इस कार्यक्रम का लक्ष्य महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को समाप्त करना है और केरल को उनके लिये सुरक्षित स्थाना बनाना है ।

उल्लेखनीय है कि विस्मया के अलावा कई अन्य महिलायें भी रहस्यमय परिस्थितियों में हाल के दिनों में मृत पायी गयी थीं और उनके परिवार ने दहेज के लिये परेशान करने का आरोप लगाया था।

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