Kawad Yatra 2024: कांवड़ यात्रा की तैयारियों के बीच उत्तर प्रदेश की राजनीति गर्म हो गई है। प्रदेश की भाजपा सरकार पर विपक्ष हमलावर हो गया है। वहीं, प्रदेश की सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है कि जो फैसला बीते दिनों पहले मुजफ्फरनगर प्रशासन द्वारा लिया गया, उसे वापिस लिया जाए।
क्योंकि, यह धर्म के आधार पर एक दूसरे को आपस में दुश्मन बना सकता है। दरअसल, मुजफ्फरनगर जिले में 240 किलोमीटर लंबे कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेलों सहित भोजनालयों को अपने मालिकों या इन दुकानों पर काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश दिया गया। इसके बाद हरिद्वार प्रशासन ने भी यह फरमान जारी किया।
यूपी में जारी होगा फरमान
मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन के द्वारा जारी फरमान को पूरे यूपी में लागू किया जाएगा। सूत्रों के हवाले से खबर है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य के लिए ऐसा ही आदेश जारी करने का फैसला किया। सरकार के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जल्द ही एक औपचारिक आदेश जारी होने की संभावना है।
मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अभिषेक सिंह ने सोमवार को कहा था, “जिले में कांवड़ यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। यहां लगभग 240 किलोमीटर लंबा कांवड़ मार्ग है। मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेले वालों से अपने मालिकों या फिर वहां काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने को कहा गया है।
यह इसलिए जरूरी है, ताकि किसी कांवड़िये के मन में कोई भ्रम न रहे। उन्होंने कहा कि ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि कांवड़ियों के बीच कोई भ्रम न हो और कानून-व्यवस्था की स्थिति पैदा न हो। सभी स्वेच्छा से इसका पालन कर रहे हैं।
मेरठ के बाट-माप विभाग के प्रभारी वी के मिश्रा ने बताया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अनुसार, प्रत्येक रेस्टोरेंट या ढाबा संचालक के लिए फर्म का नाम, अपना नाम और लाइसेंस नंबर लिखना अनिवार्य है। उनके अनुसार 'जागो ग्राहक जागो' योजना के तहत नोटिस बोर्ड पर मूल्य सूची भी लगाना अनिवार्य है।