कश्मीर: पत्थरबाजी खत्म होने के दावों के बावजूद भी नहीं चल पा रही है विस्टाडोम कोच वाले ट्रेनें, नहीं खुश है सैलानी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: October 26, 2022 16:49 IST2022-10-26T16:32:55+5:302022-10-26T16:49:24+5:30

आपको बता दें कि रेलवे ने इस सेवा को आरंभ करने की घोषणा अभी तक नहीं की है क्योंकि अतीत में इसकी संपत्ति में हुए नुकसान के चलते रेलवे अभी भी डरा हुआ है।

Kashmir Despite claims that stone pelting over trains with vistadome coaches not running tourists not happy | कश्मीर: पत्थरबाजी खत्म होने के दावों के बावजूद भी नहीं चल पा रही है विस्टाडोम कोच वाले ट्रेनें, नहीं खुश है सैलानी

फोटो सोर्स: ANI (प्रतिकात्मक फोटो)

Highlightsकश्मीर में पत्थरबाजी खत्म होने के दावों के बावजूद भी विस्टाडोम कोच वाले ट्रेनें अभी तक नहीं चल पाई है। इसे लेकर रेलवे ने अभी तक कोई घोषणा नहीं की है। ऐसे में अतीत में हुए नुकसान के चलते भी रेलवे यहां अभी विस्टाडोम कोच वाले ट्रेनें को चलाने में हिचकिचा रहा है।

जम्मू: हिमाचल प्रदेश में कालका-शिमला के बीच चलने वाली हिमदर्शन एक्सप्रेस और मुंबई-गांधीनगर शताब्दी में विस्टाडोम कोचों को जोड़ दिए जाने के बाद से ही जम्मू कश्मीर के लोग निराश हैं। निराशा इसलिए है क्योंकि कश्मीर में इसे चलाने की घोषणा पांच साल पहले हुई थी। 

इसका परीक्षण भी किया जा चुका है, लेकिन कभी कोरोना और कभी पत्थरबाजों के डर से टूरिस्टों के लिए इसे आरंभ ही नहीं किया जा सका है। जबकि इसे चालू न किए जाने से केंद्र के उन दावों पर शंका पैदा होती थी जिसमें वह कहती है कि कश्मीर से पत्थरबाजी पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है।

पत्थरबाजों के कारण नहीं चल पा रही है विस्टाडोम कोच वाली ट्रेन

शीशे वाले रेल कोच अर्थात विस्टाडोम में बैठ कर कश्मीर की खूबसूरती को निहारने के सपने पर अब किसका साया है, रेल प्रशासन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं देता था। हालांकि ट्रायल के पांच सालों के दौरान वह कई बार पत्थरबाजों को इसके लिए दोषी ठहराता था, जो कश्मीर में पर्यटकों के कदमों को अपनी पत्थरबाजी से रोकने में कई बार कामयाब हुए थे। 

रेलवे ने इस सेवा को आरंभ करने की घोषणा अभी तक नहीं की है क्योंकि अतीत के अनुभवों के चलते उसे डर भी सता रहा है। दरअसल रेलवे पत्थरबाजों के कारण रेलवे की संपत्ति को होने वाले नुक्सान को भुला नहीं पाई है।

कश्मीर में कब शुरू होगी विस्टाडोम कोच की सुविधा

कश्मीर घूमने आने वाले पर्यटक अब वादी के प्राकृतिक सौंदर्य का मजा पारदर्शी शीशे की बड़ी-बड़ी खिड़कियों और शीशे की छत वाली कोच जिसे विस्टाडोम कोच कहते हैं, में बैठ कर ले सकते हैं। विस्टाडोम कोच की सुविधा बनिहाल-बारामुल्ला रेलवे सेक्शन पर उपलब्ध होनी है पर कब, कोई नहीं जानता। प्रदेश पर्यटन विभाग और रेलवे मंत्रालय की ओर से शुरू की जाने वाली इस सुविधा का एलान 2017 में जून में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने किया था।

कहा तो यही जा रहा है कि कश्मीर की यात्रा करने वाले पर्यटक अब वहां के विस्मयकारी ग्रामीण परिदृश्य का बखूबी नजारा देख पायेंगे। क्योंकि पर्यटन विभाग और रेलवे, यहां की एकमात्र रेल लाइन पर विस्टाडोम कोच शुरु कर रहे हैं।

विस्टाडोम कोच की क्या है खूबी

पर्यटन निदेशक (कश्मीर) के बकौल, विस्टाडोम कोच तीन सालों से कश्मीर पहुंच चुका है और उसे कब शुरू किया जाएगा, रेल विभाग ही बेहतर बता सकता है। तीन साल पहले पहले मध्य कश्मीर के बडगाम रेलवे स्टेशन पर 40 सीटों वाले इस कोच का निरीक्षण कर चुके अधिकारियों का कहना था कि ‘देखे कोच के माध्यम से’ सेवा यात्रियों को रोचक अनुभव प्रदान करेगी। ये कोच वातानुकूलित हैं। इसकी खिड़कियां मोटे पारदर्शी शीशे की हैं जो सामान्य से कहीं ज्यादा बड़ी हैं। 

इसकी छत भी शीशे की और इसमें आवजर्वेशन लाउंच और घूमने वाली सीटों की व्यवस्था है। इसमें स्वचालित स्लाइोडग दरवाजे हैं। एलईडी स्क्रीन और जीपीएस की सुविधा भी है। यात्री अपनी इच्छानुसार भोजन और जलपान की प्री बुकिंग भी कर सकते हैं।

औपचारिक एलान के बाद कर सकेंगे सैलानी ऑनलाइन बुकिंग

रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि एक बार विस्टाडोम कोच की सेवा औपचारिक रूप से शुरू होने के बाद इच्छुक व्यक्ति रेलवे की इंटरनेट साइट पर आनलाइन बुकिंग करा सकते हैं। इस वातानुकूलित कोच में शीशे की बड़ी बड़ी खिड़कियां, शीशे की छत, अवलोकन क्षेत्र, घुमावदार सीटें हैं ता कि यात्री बारामुल्ला से बनिहाल के 135 किलोमीटर लंबे मार्ग में आकर्षक सुंदर परिदृश्य का मजा ले पाएं। 

विशेष तौर पर डिजायन किए गए इस डिब्बे में आरामदेह झुकी हुई सीटें हैं जिसे आसपास का नजारा देखने के लिए 360 डिग्री पर घुमाया जा सकता है, लेकिन यह सब कब देखने को मिलेगा कोई नहीं जानता है।

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