Kashi Vishwanath Corridor Inauguration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम गलियारे के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि नया इतिहास रचा जा रहा है, हम सौभाग्यशाली हैं कि इसका साक्षी बनने का मौका मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम के पहले चरण का उद्घाटन किया।
पीएम ने कहा कि भारत 130 करोड़ देशवासियों के प्रयासों से, सबके प्रयास से आगे बढ़ रहा है। महादेव की कृपा से, हर भारतवासी के प्रयास से हम आत्मनिर्भर भारत का सपना सच होता देखेंगे। यहां आकर किसी को भी गर्व महसूस होगा, यह प्राचीनता व नवीनता का समागम है।
प्रधानमंत्री मोदी ने काशी विश्वनाथ मंदिर में कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर अब पहले के तीन हजार वर्ग फुट के मुकाबले पांच लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है, यहां एक साथ 50 से 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं। आतातायियों ने वाराणसी पर आक्रमण किए, इसे ध्वस्त करने के प्रयास किए....यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं।
जानें बड़ी बातेंः (Kashi Vishwanath Corridor Inauguration)
मैं आज आपसे अपने लिए नहीं, देश के लिए कुछ मांगता हूं। मैं आपसे तीन संकल्प चाहता हूं- 1- स्वच्छता 2- सृजन 3- आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास। आज का भारत सिर्फ अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर ही नहीं बना रहा है, बल्कि हर जिले में मेडिकल कॉलेज भी बना रहा है। आज का भारत सिर्फ बाबा विश्वनाथ धाम को भव्य रूप ही नहीं दे रहा बल्कि गरीब के लिए करोड़ों पक्के घर भी बना रहा है।
आज का भारत सिर्फ सोमनाथ मंदिर का सौन्दर्यकरण ही नहीं करता बल्कि समुद्र में हजारों किमी ऑप्टिकल फाइबर भी बिछा रहा है। आज का भारत सिर्फ बाबा केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार ही नहीं कर रहा बल्कि अपने दम पर अंतरिक्ष मे भारतीयों को भेजने की तैयारी में जुटा है।
आज का भारत अपनी खोई हुई विरासत को फिर से संजो रहा है। यहां काशी में तो माता अन्नपूर्णा खुद विराजती हैं। मुझे खुशी है कि काशी से चुराई गई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा, एक शताब्दी के इंतजार के बाद अब फिर से काशी में स्थापित की जा चुकी है।
याद रखिये जैसी दृष्टि से हम खुद को देखेंगे, वैसी ही दृष्टि से विश्व भी हमें देखेगा। मुझे खुशी है कि सदियों की गुलामी ने हम पर जो प्रभाव डाला था, जिस हीन भावना से भारत को भर दिया गया था। अब आज का भारत उससे बाहर निकल रहा है।
हर भारतवासी की भुजाओं में वो बल है, जो अकल्पनीय को साकार कर देता है। हम तप जानते हैं, तपस्या जानते हैं, देश के लिए दिन रात खपना जानते हैं। चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों ना हो, हम भारतीय मिलकर उसे परास्त कर सकते हैं।
काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, एक उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएगा। ये परिसर, साक्षी है हमारे सामर्थ्य का, हमारे कर्तव्य का। अगर सोच लिया जाए, ठान लिया जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं।
जिस तरह काशी अनंत है वैसे ही काशी का योगदान भी अनंत है। काशी के विकास में इन अनंत पुण्य आत्माओं की ऊर्जा शामिल है। इस विकास में भारत की अनंत परंपराओं की विरासत शामिल है। इसलिए हर मत-मतांतर के लोग, हर भाषा वर्ग के लोग यहां आते हैं।
काशी अहिंसा, तप की प्रतिमूर्ति चार जैन तीर्थंकरों की धरती है। राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा से लेकर वल्लभाचार्य, रमानन्द जी के ज्ञान तक, चैतन्य महाप्रभु, समर्थगुरु रामदास से लेकर स्वामी विवेकानंद, मदनमोहन मालवीय तक, ऋषियों, आचार्यों का संबंध काशी की पवित्र धरती से रहा है।
यहीं की धरती सारनाथ में भगवान बुद्ध का बोध संसार के लिए प्रकट हुआ। समाजसुधार के लिए कबीरदास जैसे मनीषी यहां प्रकट हुये। समाज को जोड़ने की जरूरत थी तो संत रैदास जी की भक्ति की शक्ति का केंद्र भी ये काशी बनी।