बेंगलुरु: दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बीजेपी विपक्ष में आ गई है। राज्य में सिद्धारमैया की सरकार बनी है और डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम बन गए हैं।
इस बीच, नई सरकार के सत्ता में आने बाद कर्नाटक बीजेपी विधायक सीएन अश्वथ नारायण ने सिद्धारमैया के खिलाफ विवादित टिप्पणी की है। इस टिप्पणी के बाद राजनीति बयानबाजी तेज हो गई है।
ऐसा लगता है कि अपने बयान के कारण वह बड़ी मुसीबत में फंस गए हैं क्योंकि अब अश्वथ नारायण के खिलाफ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है। दरअसल, उन्होंने सिद्धारमैया को खत्म करो वाला बयान दिया था जिसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
गौरतलब है कि कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के प्रवक्ता एम लक्ष्मण और मैसूरु जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बी जे विजयकुमार के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को मैसूर के देवराजा पुलिस स्टेशन में एक नई शिकायत दर्ज कराई है।
यह मामला आईपीसी की धारा 506 और 153 के तहत दर्ज किया गया है।
अपने इस बयान को लेकर अश्वथ नारायण ने दी सफाई
मालूम हो कि इससे पहले इसी साल फरवरी में केपीसीसी के प्रवक्ता ने मल्लेश्वरम पुलिस स्टेशन में अश्वथ नारायण के खिलाफ शिकायत जर्ज कराई थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
चूंकि इस साल मई महीने में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव थे जिसके कारण राजनीतिक बयानबाजी काफी तेज रही। चुनाव प्रचार के दौरान कई नेताओं ने एक-दूसरे पर टिप्पणियां की।
इसी साल फरवरी में एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोगों से कहा, "सिद्धारमैया को 'खत्म' करो।"
उन्होंने ऐसा करने के लिए लोगों का आह्वान किया था, जिस तरह से दो वोक्कालिगा सरदारों - उरी गौड़ा और नन्जे गौड़ा - ने 17 वीं शताब्दी के मैसूर शासक टीपू सुल्तान की हत्या कर दी थी।
इस पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह दोनों काल्पनिक पात्र हैं। इसके बाद अश्वथ नारायण ने लगातार कई ट्वीट किए जिसमें उन्होंने अपने बयान को लेकर सफाई दी।
उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी आकस्मिक संकेत थी और दुर्भावनापूर्ण नहीं थी। उन्होंने ट्वीट किया, "मुझे अपना रुख स्पष्ट करने दीजिए।
मांड्या में टीपू सुल्तान और सिद्धारमैया की तुलना करने के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द आकस्मिक संकेत हैं और दुर्भावनापूर्ण शब्द नहीं हैं लेकिन मेरे शब्दों का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। इसका उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं था।"
उन्होंने कहा कि बहस राजनीति का एक अभिन्न अंग है और एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। इसी भावना से मेरे शब्दों की व्याख्या की जानी चाहिए। यह @siddaramaiah की संस्कृति हो सकती है कि वे प्रधानमंत्री को "सामूहिक हत्यारा" कहते हैं और सेना प्रमुख पर हमला करते हैं।
अश्वथ नारायण ने आगे कहा कि उन्होंने केवल यह कहा था कि चुनाव में कांग्रेस को हराना चाहिए। "राज्य के लोग सिद्धारमैया की भाषा दक्षता से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
मैं केवल इस तथ्य की ओर इशारा कर रहा था कि कांग्रेस को इस चुनाव में हारना चाहिए। और आखिरकार, मांड्या के हमारे लोगों में टीपू जैसी क्रूर मानसिकता नहीं है।
इसके लिए सिद्धारमैया ने तब कहा था कि उस पार्टी के नेताओं से प्यार और दोस्ती की उम्मीद नहीं की जा सकती है, जो "महात्मा गांधी के हत्यारे की पूजा करते हैं"।