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कर्नाटक: भाजपा सरकार ने टीपू सुल्तान के समय मंदिरों में शुरू की गई 'सलाम आरती' को बंद करने का फरमान सुनाया

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: December 11, 2022 20:33 IST

कर्नाटक सरकार ने 18वीं सदी में तत्कालीन मैसूर के शासक टीपू सुल्तान द्वारा शुरू की गई मंदिरों में 'सलाम आरती' को बदलने का फैसला किया है।

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ठळक मुद्देकर्नाटक के मंदिरों में 300 सालों से चल रही 'सलाम आरती को बंद किया गया18वीं सदी में तत्कालीन मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने शुरू कराई थी सलाम आरतीहिंदू संगठनों का आरोप था कि टीपू सुल्तान ने अपने 'सम्मान' में इसे शुरू कराया था

बेंगलुरु:कर्नाटक में 300 सालों से चल रही ऐतिहासिक सलाम आरती की परंपरा को खत्म कर दिया गया है। सूबे की भाजपा सरकार ने 18वीं सदी में तत्कालीन मैसूर के शासक टीपू सुल्तान द्वारा शुरू की गई मंदिरों में 'सलाम आरती' को बदलने का फैसला किया है। इस सलाम आरती को 'सलाम मंगल आरती' या फिर 'दीवतिगे सलाम' जैसे नामों से भी जाना जाता है।

जानकारी के अनुसार बसवराज बोम्मई सरकार ने यह फैसला हिंदूवादी संगठनों की मांग पर लिया है। दरअसल कई संगठनों ने विचार व्यक्त किया था कि चूंकि मैसूर शासक टीपू सुल्तान इस्लाम धर्म को मानने वाले थे, इसलिए उनके द्वारा शुरू की गई सलाम आरती परंपरा को बंद कर दिया जाना चाहिए।

इस संबंध में मौजूद दस्तावेज बताते हैं कि टीपू सुल्तान ने 18वीं शताब्दी में मैसूर के मंदिरों में होने वाली आरती का नामकरण सलाम आरती के तौर पर किया था। कथित तौर पर ऐसा माना जाता है कि टीपू सुल्तान की इच्छा थी कि मंदिर के पुजारी उसके 'सम्मान' में इस आरती को करें। सबसे पहले यह प्रथा कोल्लूर के मंदिरों में शरू की गई, उसके बाद मेलकोट मंदिर में हर शाम में 'सलाम आरती की जाने लगी।

बताया जा रहा है कि कुछ हिंदू संगठनों इस सलाम आरती का विरोध करते हुए इसे बंद करने की मांग की, जिसके बाद कई मंदिरों ने सलाम आरती का नाम बदल दिया और इसे 'आरती नमस्कार' के नाम से कर रहे थे। इस विवाद में कर्नाटक धर्मिका परिषद के सदस्य कशेकोडि सूर्यनारायण भट ने कहा कि हिंदूओं की मांग एकदम सही है, सलाम हम हिंदूओं का नहीं बल्कि टीपू सुल्तान का दिया शब्द है और चूंकि वो मुस्लिम शासक थे, इसलिए हमें इस तरह की प्रथा को नहीं निभाना चाहिए।

आरती का नाम बदलने पर हो रही इस सियासत में सूबे की मंत्री शशिकला जोले ने सरकार की स्थिति स्पष्ट करते हुए शनिवार को कहा कि सरकार ने सलाम आरती जैसे रिवाज को इसलिए बदलने का फैसला किया, क्योंकि यह हिंदुओं के मंदिर से संबंधित था और इसलिए हिंदूओं को पूरा अधिकार है कि वो अपनी पूजा-पाठ की पद्धति का स्वयं निर्धारण करें। 

मंत्री शशिकला जोले ने कहा कि इसे राजनीति के चश्मे से नहीं बल्कि धर्म के नजरिये से देखे जाने की आवश्यकता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इन रीति-रिवाजों को बंद करने के पक्ष में नहीं है, सरकार ने केवल इनके नाम बदलने की बात कही है, जिसका हिंदू पक्ष द्वारा स्वागत किया गया है।

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