बेंगलुरु: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विधानसभा चुनाव के प्रचार के अंतिम चरण में एक बार फिर विपक्षी दल कांग्रेस पर जबरदस्त हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने जो चुनावी घोषणापत्र जारी किया है, उससे राजनीतिक तुष्टीकरण की बू आ रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने घोषणापत्र नहीं जारी किया है, यह गवाह है कि वो किस तरह से तुष्टीकरण की राजनीति में लिप्त हैं। उनकी यही नफरती मानसिकता है।
सीएम सरमा ने रविवार को मंगलुरु में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जब केंद्र सरकार ने पीएफआई जैसे आतंकी सगटन पर प्रतिबंध लगाया तो विचारधारा से परे जाकर लोगों ने इसका स्वागत किया। लोगों का मानना है और सरकार के पास सबूत है कि पीएफआई देश में विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने वाला खतरनाक संगठन है।
उन्होंने कहा, "जब पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया गया तो उसके सैकड़ों कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन कांग्रेस ने पीएफआई के खिलाफ की गई कार्रवाई की आलोचना नहीं की थी और अब उसने पीएफआई की बजरंग दल के साथ तुलना करके सरकार के कदम की आलोचना करने का एक और तरीका खोज लिया है। बजरंग दल एक दक्षिणपंथी संगठन हो सकता है, लेकिन वो पीएफआई की तरह चरमपंथी संगठन नहीं हो सकता है।"
असम के सीएम ने कहा, "जब कर्नाटक में सिद्धारमैया की सरकार थी तो पीएफआई कैडरों के खिलाफ मामलों को वापस ले लिया गया था। उनके कई आतंकियों को जेल से रिहा कर दिया था बाद में एनआईए ने यहां से कई आरोपियों को उठाया और उनके स्लीपर सेल को उजागर किया। आज की तारीख में जब लोग कट्टरवाद के प्रति चिंता जता रहे हैं तो कांग्रेस पीएफआई की तुलना बजरंग दल से कर रही है, उसे शर्म आनी चाहिए।"
सीएम सरमा ने राहुल गांधी और कांग्रेस की गारंटी योजना पर हमला करते हुए कहा, "कोई पहले ये बताए कि राहुल गांधी को कौन गारंटी लेगा? वह उत्तर प्रदेश में सांसद थे। एक चुनाव हारने के बाद वह सीधे केरल चले गए। पिछले पांच वर्षों में कभी अमेठी नहीं गए। सोनिया गांधी बीते 20 साल से राहुल गांधी को राजनीति में स्थापित करने की कोशिश कर रही हैं। भला वह कैसे कर्नाटक के लोगों को गारंटी कैसे दे सकते हैं?"
उन्होंने कहा, "कांग्रेस का उद्देश्य केवल एक विशेष समुदाय का तुष्टिकरण करना है और उसके लिए उन्होंने मुसलमानों के विकास के लिए 10,000 करोड़ रुपये देने का वादा किया है। आखिर समुदाय विशेष को किस तरह के विकास की आवश्यकता है?"