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झारखंड पत्थलगड़ी आंदोलन: 13 गांवों के लोगों से राशन कार्ड, आधार कार्ड और बैंक पासबुक छीने, दिया 1 रु. में जहाज-ट्रेन के सफर का लालच

By एस पी सिन्हा | Updated: June 19, 2019 18:20 IST

पत्थलगड़ी समर्थकों ने बंदगांव की तीन पंचायतों के 13 गांव के लोगों का राशन कार्ड, आधार कार्ड व बैंक पासबुक छीन लिया है. यह मामला बीडीओ के साथ बैठक में सामने आया. ग्रामीणों को एक रुपये में जहाज का सफर, ट्रेन की यात्रा और अनाज का लालच दिया जा रहा है. 

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झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में पत्थलगड़ी समर्थक सरकारी लाभ लेने से ग्रामीणों को रोक रहे हैं. पत्थलगड़ी समर्थकों ने बंदगांव की तीन पंचायतों के 13 गांव के लोगों का राशन कार्ड, आधार कार्ड व बैंक पासबुक छीन लिया है. यह मामला बीडीओ के साथ बैठक में सामने आया. ग्रामीणों को एक रुपये में जहाज का सफर, ट्रेन की यात्रा और अनाज का लालच दिया जा रहा है. 

बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव में वोटिंग करने वाले ग्रामीणों का बहिष्कार किया जा रहा है. फरार आरोपी जोसेफ पुरती और मुढू के बिरसा ओड़िया ग्रामीणों को उकसा रहे हैं. बंदगांव हाट परिसर में बीडीओ कामेश्वर बेदिया और मानकी-मुंडाओं की बैठक चल रही थी. इसी दौरान बीडीओ को जानकारी दी गई कि बंदगांव की चांपाबा, जलासर व मेरमगुटू पंचायत में पत्थलगड़ी समर्थक ग्रामीणों को सरकारी लाभ लेने से रोक रहे हैं. 

खूंटी के नामजद फरार अभियुक्त जोसेफ पूर्ति व मुरहू के बिरसा ओडिया के नेतृत्व में पत्थलगड़ी समर्थक इन तीनों पंचायतों में सक्रिय हैं. अब तक 13 गांवों से ग्रामीणों का बैंक खाता, राशन व आधार कार्ड जब्त कर लिया हैं. ग्रामीणों को एक रुपया में जहाज का सफर, ट्रेन की यात्रा व पूरे परिवार को अनाज का लालच दिया जा रहा है. जोसेफ पूर्ति और ओडिया छह माह पहले ही गुजरात से प्रशिक्षण लेकर बंदगांव आये हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार बंदगांव के कारला, करू, हेसाडीह, लोटो, बुनुमउली, कुंदरुगुटु, सुइदहोलोंग, चांपाबा, कुकरुबारु, टोकाद हातु, अरकोडा, जलासर व एक अन्य गांव में पत्थलगड़ी समर्थकों ने अघोषित कब्जा जमा रखा है. 

बताया जाता है कि दोनों नेतृत्वकर्ता व उनके समर्थक ग्रामीणों को सपने दिखा रहे हैं. पत्थलगड़ी समर्थक वृद्धा पेंशन, राशन, मनरेगा योजना, प्रधानमंत्री आवास, आंगनबाड़ी केंद्र, स्कूली शिक्षा समेत अन्य सरकारी योजनाओं व लाभ का बहिष्कार करने के लिए ग्रामीणों को उकसा रहे हैं. 

पत्थलगड़ी समर्थक ग्रामीणों को दो अलग-अलग भागों में बांट रहे हैं. लोकसभा चुनाव में मतदान करने वाले और नहीं करने वालों को दो अलग-अलग समूहों में बांटा गया है.

क्या है पत्थलगड़ी आंदोलन?

झारखंड और छत्तीसगढ़ के आदिवासियों ने अपने गांवों में सरकारी कर्मचारियों और बाहरियों के घुसने पर रोक लगा दी है। इसके लिए हरे रंग के पत्थरों पर संविधान में दर्ज कुछ कानूनों को लिखा गया है। पत्थरों पर  Panchayats (Extension to Scheduled Areas) Act 1996 यानी पेसा एक्ट की बातें लिखी गई हैं। आदिवासियों का कहना है उनके गावों में केवल ग्राम सभा के बनाए नियमों और कानूनों का पालन होगा।

बाहरियों या सरकारी कर्मचारियों को गावों में घुसने से रोकने के लिए आदिवासी तीर-कमान से लैस अपने लोगों को गांव की सीमाओं पर तैनात कर रहे हैं।

यह आंदोलन 2017 में शुरू हुआ था। पत्थर गाड़ने का तरीका झारखंडा के मुंडा आदिवासियों के रीति-रिवाज से लिया गया है। मुंडा आदिवासियों में अगर किसी की मृत्यु हो जाती है तो उसकी याद में पत्थर गाड़ा जाता है। पत्थरों पर पेसा एक्ट की जिन बातों को उकेरा गया है उनके जरिये बताने की कोशिश की गई है कि गांव ही उनकी प्रशासनिक इकाई है।

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