रांचीः झारखंड विधानसभा में सोमवार को नियोजन नीति के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। नियोजन नीति को लेकर विपक्ष एक बार फिर सरकार को घेरने में जुटा रहा। आज जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरु हुई तो भाजपा के विधायक सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे एवं सरकार पर झारखंड के छात्रों को ठगने का आरोप लगाकर सदन में विशेष चर्चा की मांग करने लगे।
भाजपा विधायकों का कहना था कि राज्य के 5 लाख युवाओं ने ट्विटर अभियान के जरिये सरकार के नियोजन नीति पर अपना विरोध जताया है। भाजपा विधायक नीरा यादव ने नियोजन नीति पर सरकार को घेरा। नीरा यादव ने कहा कि आज झारखंड के युवाओं का भविष्य अंधकार में है। हम शांतिपूर्ण ढंग से सदन को चलाने में सहयोग कर रहे थे, बस सरकार से यह स्पष्टीकरण मांग रहे हैं।
विधायक नीरा यादव ने पूर्व प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का पर भी सवाल उठाया और कहा कि जब सरकार के प्रधान सचिव की बातें उजागर होती है तो सोचिये सरकार का क्या हाल है? नीरा यादव ने कहा कि हम ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहते हैं। हमारे विधायक दल के नेता ने इस बारे में बहुत कुछ कहा है।
वहीं, सदन में भाग लेने पहुंचे माले विधायक विनोद सिंह ने कहा कि पूरे बजट भाषण में महिला अधिकार और युवा सबसे कमजोर दिख रहे हैं। पिछले बजट की तुलना में यह बजट कमजोर है। जिन बिंदुओं पर अधिक ध्यान देना था उन बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया गया है। बजट भाषण से यह उम्मीद नहीं की जा रही है कि इस साल भी नियुक्तियां पूरी हो पाएगी।
वहीं, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि मर्द की तरह बात करें। जब 2019 में नियोजन नीति लागू किया तब गिरिडीह कि बैठक में 1932 की नीति का समर्थन किया, क्योंकि ये कभी 1932 भी बोलते हैं। 2018 भी बोलते हैं तो इसका मतलब यह है कि विपक्ष के पास कोई नीति नहीं है। सिर्फ सरकार को परेशान करने के लिए ऐसा कर रहे हैं, जो सरकार अच्छा काम करेगी इस तरह का कार्य करते हैं।
सदन में बात रखने के लिए औकात होगी तभी ना बात रखेंगे। वहीं भाजपा के विधायक एवं मुख्य सचेतक बिरंचि नारायण ने कहा कि सरकार की स्थिति पेंडुलम जैसी हो गई है। एक तरफ 1932 के नीति लागू करते हैं। जोहार यात्रा निकालते हैं और फिर 2016 से पहले वाली नीति को लेकर आते हैं। यह बातें अभी सरकार स्पष्ट नहीं कर रही है।
मुख्यमंत्री कहते हैं कि 75 फीसदी राज्य के युवाओं से राय ली गई है तो फिर 60-40 का विरोध कौन कर रहा है? इसकी भी मुख्यमंत्री जांच कराएं। सीबीआई जांच करे। आखिर सरकार ने किन से राय ली है? इसकी जांच हो और सदन में आकर मुख्यमंत्री जवाब दें कि यह किस प्रकार की नियोजन नीति है? क्यों है कैसे है?