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एक साल में 51 हजार टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहा है जम्मू कश्मीर, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता

By सुरेश एस डुग्गर | Published: February 07, 2023 12:25 PM

जम्मू-कश्मीर में प्रति वर्ष 51,710.60 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हो रहा है। कश्मीर प्रतिवर्ष 31,375.60 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है जबकि जम्मू संभाग प्रति वर्ष 20,335 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है।

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ठळक मुद्देजम्मू-कश्मीर के पर्यावरण को प्लास्टिक कचरे से बड़ा खतराजम्मू और कश्मीर 51,000 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा पैदा हो रहा हैप्लास्टिक कचरा निस्तारण के उचित प्रबंध नहीं होने के कारण पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है

जम्मू: यह सच में चौंकाने वाली बात है कि धरती का स्वर्ग कहे जाने वाला कश्मीर प्लास्टिक कचरा पैदा करने की दौड़ में आगे बढ़ता जा रहा है। यह इसी से स्पष्ट होता कि जम्मू और कश्मीर 51,000 टन से अधिक प्लास्टिक कचरा पैदा कर रहा है। कश्मीर 31,000 और जम्मू 20,000 टन से अधिक  प्लास्टिक कचरा  एक वर्ष में उत्पादन कर रहा है।

जम्मू-कश्मीर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में प्रति वर्ष 51,710.60 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न हो रहा है। उनके मुताबिक, तेल और प्राकृतिक गैस से प्राप्त सिंथेटिक या अर्ध-सिंथेटिक कार्बनिक अनाकार ठोस पदार्थों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए प्लास्टिक सामान्य सामान्य शब्द है। उन्होंने कहा कि कश्मीर प्रतिवर्ष 31,375.60 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है जबकि जम्मू संभाग प्रति वर्ष 20,335 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है।

 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने आगे कहा कि उचित संग्रह और प्रबंधन की कमी के कारण, प्लास्टिक को 'फेंकने की संस्कृति' के परिणामस्वरूप प्लास्टिक बैग शहर की जल निकासी व्यवस्था में अपना रास्ता खोज लेते हैं और इस तरह नालियां बंद हो जाती हैं।

उन्होंने कहा कि प्लास्टिक की थैलियों द्वारा भूमि को गंदा करना एक भद्दा और अस्वच्छ दृश्य प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि गंदगी बारिश के पानी के रिसाव की दर को भी कम कर देती है, जिसके परिणामस्वरूप जल तालिका का स्तर कम हो जाता है और प्लास्टिक जल निकायों में चला जाता है जो पहले से ही कई स्रोतों के कारण प्रदूषित हैं।

फिलहाल प्रदेश के हालात यह हैं कि प्लास्टिक कचरा निस्तारण के उचित प्रबंध नहीं होने के कारण पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। यहां तक की जल में रहने वाले जीव भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। अब तो जंगलों में पेड़ पौधों के अतिरिक्त पहाड़ों पर बर्फबारी कम होने में भी यह कचरा अब अपनी अहम भूमिका निभाने लगा है।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरJammuमौसमEnvironment Department
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