शोपियां फर्जी मुठभेड़ः दो आरोपितों की गिरफ्तारी से मामले में नया मोड़, सेना और प्रदेश प्रशासन के लिए सिरदर्द
By सुरेश एस डुग्गर | Published: September 29, 2020 03:35 PM2020-09-29T15:35:56+5:302020-09-29T15:35:56+5:30
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गिरफ्तार किए गए दोनों स्थानीय लोगों पर हत्या की साजिश रचने का आरोप है। पुलिस ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की छानबीन शुरू कर दी है।
जम्मूः सेना और प्रदेश प्रशासन के लिए सिरदर्द बन चुके शोपियां फर्जी मुठभेड़ के मामले में पुलिस ने दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। इन दोनों आरोपितों की गिरफ्तारी ने मामले को नया मोड़ दिया है।
पुलिस ने दोनों व्यक्तियों को हत्या की साजिश रचने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। हिरासत में लिए गए दोनों व्यक्ति चौगाम शोपियां और निकस अराबल पुलवामा के रहने वाले बताए जाते हैं। पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गिरफ्तार किए गए दोनों स्थानीय लोगों पर हत्या की साजिश रचने का आरोप है। पुलिस ने दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की छानबीन शुरू कर दी है।
यह भी बताया जा रहा है कि इन दोनों से अमशीपोरा मुठभेड़ के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। इन दोनों आरोपितयों को इस मुठभेड़ का अहम सुराग बताया जा रहा है। पुलिस का दावा है कि इनसे पूछताछ के बाद कई अहम बाते सामने आ सकती हैं, जो अमशीपोरा मुठभेड़ की सच्चाई सामने लाने में मददगार साबित होगी।
जानकारी देते हुए यह विश्वास दिलाया कि इस घटना की निष्पक्ष जांच की जा रही है
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने गत सोमवार को इस बात की जानकारी देते हुए यह विश्वास दिलाया कि इस घटना की निष्पक्ष जांच की जा रही है। राजौरी से लापता युवकों और मुठभेड़ में मारे गए कथित आतंकवादियों के डीएनए परिजनों से मेल खा चुके हैं। यह तो स्पष्ट हो गया कि ये तीनों युवक राजौरी के लापता श्रमिक ही हैं।
इससे अमशीपोरा शोपियां मुठभेड़ की जांच के लिए सेना द्वारा गठित कोर्ट आफ इंक्वायरी भी इस नतीजे पर पहुंची है कि गोलीबारी में शामिल आर्मी यूनिट ने सशस्त्र बलों के विशेष अधिकार अधिनियम, सेना के आचरण नियम और विशेष परिचालन प्रक्रिया के तमाम दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है, जिसे सर्वाेच्च न्यायालय ने अपनी मंजूरी दी थी।
इस बीच दक्षिण कश्मीर में शोपियां जिले के आमशीपोरा में जुलाई में हुए एनकाउंटर में अपने लोगों को अभ्यारोपित करने के बाद सेना ने समरी आफ एविडेंस की कार्रवाई शुरू की है। यह संभावित कोर्ट मार्शल से पहले का कदम है। इस दौरान सभी प्रत्यक्षदर्शी आम नागरिकों से भी जिरह की जाएगी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
इस माह के शुरू में पूरी हुई कोर्ट आफ इन्क्वायरी में प्रथम दृष्टया यह सबूत पाया गया है कि सैनिकों ने 18 जुलाई की मुठभेड़ के दौरान सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफस्पा) के तहत प्राप्त शक्तियों से इतर जाकर कार्रवाई की। इस कार्रवाई में तीन लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद सेना ने अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की थी।
अधिकारियों ने बताया कि कुछ आम नागरिक गवाहों को भी जिरह के लिए बुलाया जाएगा जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जो स्थानीय सेना के लिए मुखबिर के रूप में काम करते हैं लेकिन उन्होंने सैनिकों को संभवतः गलत दिशा में भेज दिया। सेना के एक अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि सेना जांच को तार्किक परिणति तक ले जाने के लिए कटिबद्ध है लेकिन हर पहलू की जांच किए जाने की जरूरत है।