जम्मूः कश्मीर आइजीपी विजय कुमार ने दावा किया है कि काजीगुंड इलाके में जिन आतंकियों ने भाजपा के तीन कार्यकर्ताओं की हत्या की थी, उनकी पहचान कर ली गई है।
हमले में लश्कर-ए-तैयबा और द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) आतंकी संगठन का हाथ था। हमले में इस्तेमाल किए गए वाहन को भी जब्त कर लिया गया है। इस बीच सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अभी तक टीआरएफ ने कश्मीर में 11 राजनेताओं की हत्या की है और इनमें से 8 भाजपा के ही थे।
कश्मीर के आइजी विजय कुमार आज शुक्रवार को कुलगाम के वाईके पोरा क्षेत्र का दौरा किया जहां गत वीरवार को आतंकियों ने जिला भाजपा युवा मोर्चा के महासचिव फिदा हुसैन समेत 3 भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमला किया था। घटना स्थल का निरीक्षण करने के बाद आइजी ने पत्रकारों से बात भी की।
उन्होंने बताया कि हमले में तीन आतंकी शामिल थे। ये सभी आतंकी एक आल्टो कार में आए थे। कार को पुलिस ने अच्छाबल इलाके से जब्त कर लिया है। तीनों आतंकियों की पहचान कर ली गई है और पुलिस ने अपने सूत्रों को उनका पता लगाने के लिए लगा दिया है। जल्द ही हमलावरों को पकड़ा या फिर मार गिराया जाएगा।
जानकारी के लिए कुलगाम में गुरुवार को हुई भाजपा नेताओं की हत्या की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट(टीआरएफ) ने ली है। हमले के बाद टीआरएफ ने कहा था कि वे पहले भी धमकी दे चुके हैं, लेकिन सत्ता तथा पैसे के प्रभाव में इन तीनों ने हमारी चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया। आज की घटना लोगों के लिए कड़ी चेतावनी है।
आतंकी पहले ही लोगों को राजनीतिक दल खासकर भाजपा से दूर रहने की चेतावनी दे चुके हैं। इस चेतावनी में कहा गया था कि हमने चेताया था कि यदि लोग बाज नहीं आए तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। इस संबंध में कुछ स्थानों पर पोस्टर भी चस्पा किए गए थे।
यह सच है कि मारे गए तीनों भाजयुमो कार्यकर्ता परिवार के इकलौते बेटे थे। अगर आंकड़ों को देखें तो घाटी में जून से आतंकियों ने भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हमले तेज कर दिए हैं। इस साल अब तक आठ भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं की आतंकियों ने हत्या कर दी गई है।
आतंकियों ने कुछ महीने पहले बांडीपोरा में भाजपा नेता वसीम बारी, उनके भाई व पिता की हत्या कर दी थी। इसके बाद भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव राममाधव, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने उनके घर पर जाकर श्रद्धांजलि दी थी। साथ ही भाजपा कार्यकर्ताओं को सुरक्षा मुहैया कराने के प्रति चिंता जताई थी। दरअसल वसीम बारी तिरंगा उठाता रहा था। इस वजह से वह आतंकियों की आंख में चुभ रहा था।