जम्मू-कश्मीर: एफिल टावर से भी ऊंचा ये रेलवे पुल बनेगा पर्यटन का अहम केंद्र, चिनाब नदी पर बन रहा पुल है नदी तल से 359 मीटर ऊपर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 1, 2023 05:07 PM2023-10-01T17:07:09+5:302023-10-01T17:08:29+5:30
पेरिस के एफिल टावर से भी 35 मीटर अधिक ऊंचे इस पुल की ऊंचाई नदी तल से 359 मीटर है, जबकि इसकी लंबाई 1.3 किलोमीटर है। युह पुल कटरा से बनिहाल तक के 111 किलोमीटर लंबे मार्ग की एक अहम कड़ी है।
जम्मू: भारतीय इंजीनियरों की काबिलियत का नायाब नमूना जम्मू कश्मीर में चिनाब नदी पर बन रहा रेलवे पुल अब पर्यटन का अहम केंद्र भी बनेगा। रियासी जिले में चिनाब नदी पर इस्पात से बने दुनिया के सबसे ऊंचे मेहराबनुमा रेल पुल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है और अधिकारियों ने आगंतुकों की संख्या बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय करने का जिक्र किया है।
पेरिस के एफिल टावर से भी 35 मीटर अधिक ऊंचे इस पुल की ऊंचाई नदी तल से 359 मीटर है, जबकि इसकी लंबाई 1.3 किलोमीटर है। युह पुल कटरा से बनिहाल तक के 111 किलोमीटर लंबे मार्ग की एक अहम कड़ी है। यह मार्ग उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल संपर्क (यूएसबीआरएल) परियोजना का हिस्सा है जिसका कार्य अभी प्रगति पर है।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्य सचिव ए के मेहता ने रियासी के उपायुक्त बबीला रकवाल और अन्य अधिकारियों के साथ शनिवार को रियासी शहर से 42 किलोमीटर दूर ज्योतिपुरम के पास पुल स्थल का दौरा किया। उन्होंने बताया कि मेहता ने संबद्ध एजेंसी के अभियंताओं और भारतीय रेलवे के अधिकारियों की उपस्थिति में पुल का गहन निरीक्षण किया, जिन्होंने उन्हें शानदार इंजीनियरिंग के प्रतीक इस पुल की अनूठी विशेषताओं से अवगत कराया।
उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसा कोई पुल नहीं है। मेहता ने कहा, ‘पुल का स्थान सौंदर्य की दृष्टि से भी प्रभावशाली है क्योंकि यह प्रकृति की गोद में स्थित है। मामूली कोशिश करके इस स्थल को पर्यटन का बड़ा आकर्षण केंद्र बनाया जा सकता है।’ उन्होंने संभागीय और जिला प्रशासन को रियासी से पुल स्थल तक सड़क के बेहतर रखरखाव के लिए उपाय करने की सलाह दी। मेहता ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सबसे अधिक पर्यटक रियासी जिला, जहां त्रिकुटा पहाड़ियों के ऊपर माता वैष्णो देवी का मंदिर भी है, में पहुंचते हैं जिनकी संख्या हर साल लगभग एक करोड़ का आंकड़ा पार कर जाती है। इस 119 किलोमीटर लंबी रेल परियोजना में 38 सुरंग और 931 पुल हैं, जिनकी सम्मिलित लंबाई 13 किलोमीटर है। इन सुरंगों और पुल के जरिये ही दुर्गम क्षेत्र में रेल संपर्क स्थापित करना संभव हो सका।
(इनपुट- भाषा)