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दक्षिण कश्मीर में करीब 25 विदेशी और 100 स्थानीय आतंकवादी सक्रिय हैंः लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 8, 2020 15:34 IST

सेना की पंद्रह कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने कहा कि लोग शांति चाहते हैं। यहां आतंकवाद के दिन लद गए हैं। आतंकियों और अलगाववादियों का प्रभाव बहुत कह हो रहा है। बंदूक छोड़ने वाले बढ़ गए हैं और थामने वाले की संख्या में कमी आ गई है।

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ठळक मुद्दे लोग हिंसा के दौर से थक चुके हैं। आतंकियों की कार्रवाई उनकी हताशा का सुबूत है।कश्मीर में हाल ही में सेना व सुरक्षाबलों पर हमले से यह साबित नहीं होता कि आतंकियों की संख्या अधिक हो गई है। उत्तरी-कश्मीर में अधिक हमलों पर कोर कमांडर ने कहा कि यह सुरक्षाबलों पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है।

जम्मूः लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू ने कहा कि कश्मीर के लोगों ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान रद्द किए जाने को सकारात्मक तरीके से लिया है। लोग शांति चाहते हैं। कश्मीर घाटी में शांति को लेकर पाकिस्तान नाखुश है और झूठ फैला रहा है तथा हथियारबंद आतंकवादियों को भेज जा रहा है। दक्षिण कश्मीर में करीब 25 विदेशी और 100 स्थानीय आतंकवादी सक्रिय हैं।

सेना की पंद्रह कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने कहा कि लोग शांति चाहते हैं। यहां आतंकवाद के दिन लद गए हैं। आतंकियों और अलगाववादियों का प्रभाव बहुत कह हो रहा है। बंदूक छोड़ने वाले बढ़ गए हैं और थामने वाले की संख्या में कमी आ गई है।

कश्मीर के लोगों ने अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त करने के फैसले को ‘‘सकारात्मक तरीके’’ से लिया क्योंकि लंबे समय के बाद शांति आयी लेकिन पाकिस्तान नाखुश है और कश्मीर घाटी में शांति भंग करने के प्रयास कर रहा है। यह बात सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कही। सेना की 15वीं कोर का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू ने यहां से करीब 33 किलोमीटर दूर अवंतीपोरा में संवाददाताओं से कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान समाप्त करने के बाद की स्थिति सहित, मेरा मानना है कि लोगों ने फैसले को सकारात्मक तरीके से लिया। हमने लंबे समय बाद शांति देखी।’’

लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू के साथ दक्षिण कश्मीर स्थित सेना के विक्टर फोर्स के जनरल आफिसर कमांडिंग मेजर जनरल ए सेनगुप्ता और सीआरपीएफ के महानिरीक्षक भी थे। लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू शोपियां जिले में 24 घंटे से कम समय में दो मुठभेड़ों में नौ आतंकवादियों के मारे जाने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस वर्ष फरवरी तक घाटी में सामान्य स्थिति लगभग लौट आयी। उन्होंने कहा, ‘‘जनवरी-फरवरी में लोग बाहर घूमने लगे और स्कूल खुल गए, गुलमर्ग में शीतकालीन पर्यटन शुरू हो गया। इसलिए कोविड-19 की स्थिति शुरू होने से पहले हम सामान्य स्थिति के सभी संकेत देख रहे थे और हमें केवल जीवन बचाने के लिए लॉकडाउन लागू करना पड़ा।’’

लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने कहा, ‘‘पाकिस्तान घाटी में शांतिपूर्ण स्थिति से ‘‘खुश नहीं है’’ उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान नाखुश है क्योंकि वह घाटी को अशांत रखने की अपनी व्यापक साजिश में लगा है। इसी तरह से पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना की प्रासंगिकता बनी रहती है। जहां तक यहां हिंसा में पाकिस्तान का हाथ होने का सवाल है तो यह दो चीजों का समिश्रण है- जमीनी मोर्चे पर नियंत्रण रेखा से हथियार भेजना और दूसरा दुष्प्रचार युद्ध जो पाकिस्तान लड़ना चाहता है।’’

लेफ्टिनेंट जनरल राजू ने लोगों से अपील की कि वे पाकिस्तान से होने वाले दुष्प्रचार से भ्रमित नहीं हों। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान दुष्प्रचार में लिप्त है। कश्मीर घाटी में शांति से संबंधित जो हो रहा है, उससे अगर कोई खुश नहीं है तो वह पाकिस्तान है। इसलिए हमें इसका मुकाबला करना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहना चाहूंगा कि पाकिस्तान से होने वाले दुष्प्रचार को असफल करने में देश के 120 करोड़ लोगों को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। हम जमीन पर लड़ रहे हैं, हमें दुष्प्रचार को असफल करने और सही सूचना के प्रसार में निश्चित रूप से जनता के सहयोग की अपेक्षा है।’’

उन्होंने कहा कि लोग हिंसा के दौर से थक चुके हैं। आतंकियों की कार्रवाई उनकी हताशा का सुबूत है। कश्मीर में हाल ही में सेना व सुरक्षाबलों पर हमले से यह साबित नहीं होता कि आतंकियों की संख्या अधिक हो गई है। वर्ष 2018 के मुकाबले अब युवाओं के आतंकी बनने के मामले आधे से भी कम हो गए हैं।

उत्तरी-कश्मीर में अधिक हमलों पर कोर कमांडर ने कहा कि यह सुरक्षाबलों पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है। आतंकियों की कोशिश है कि वे सीमांत जिलों में आधार मजबूत कर सीमा पार से घुसपैठ को शह दें। सेना, सुरक्षाबला व खुफिया एजेंसियां बेहतर तालमेल से आतंकवाद पर करारा आघात कर रही है।

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