ब्रिटिश हुकूमत ने जालियावालां बाग में मारे गए भारतीय नागरिकों की संख्या को आधिकारिक तौर पर इतिहास में 379 दर्ज किया है, जबकि उस दौर के भारत राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1000 लोगों के मारे जाने की बात कही थी। 1200 से अधिक लोग घायल हुए थे।
50 सैनिकों की टोली को 303 राइफल के साथ ब्रिगेडियर जनरल डॉयर ने फायर खोलने का हुक्म दिया था। लगभग 10 मिनट में निहत्थे भारतीयों पर 1650 गोलियां दागी गई थी। जनरल डायर की ऑटोमेटिक मशीन गन की बख्तरबंद गाड़ी सकरी गली से बाग तक नहीं पहुंच सकी थी। जनरल डायर के पास 29 गोरखा रेजिमेंट, 54 वीं सिख पल्टन औऱ 59वीं सिंध राइफल बटालियन के 50 सैनिक मौजूद थे।
इस हत्याकांड की जांच के लिए ब्रिटिश सरकार ने कमीशन बैठाया था। 14 अक्टूबर 1919 को भारत सरकार ने सचिव एडविन मोटेक्यू द्वारा जारी आदेश के बाद भारत सरकार ने पंजाब की घटनाओं के लिए समिति के गठन की घोषणा की थी। इसे बाद में हंटर कमीशन के नाम से जाना गया था। जनरल डॉयर ने स्वीकार किया था कि अगर मशीनगन वाली बख्तरबंद कारें मैदान में प्रवेश कर सकती थीं तो वह उनका इस्तेमाल करने से भी नहीं हिचकिचाता।