उधम सिंह: लंदन जाकर 21 साल बाद जलियांवाला बाग हत्याकांड का लिया था बदला, जानें इनके बारे में
By दीप्ती कुमारी | Published: July 31, 2021 12:21 PM2021-07-31T12:21:37+5:302021-07-31T12:25:55+5:30
13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में हुए हत्याकांड का बदला लेने के लिए ऊधम सिंह ने अपने जीवन में 21 वर्षों तक इंतजार किया । उसके बाद उन्होंने के कैक्सटन हॉल ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और सेंट्रल एशियन सोसायटी की एक संयुक्त बैठक में जनरल ओ डायर को गोली मार दी । उन्हें 31 जुलाई 1940 को फांसी की सजा दी गई ।
दिल्ली : देश में काले दिन के रूप में याद किया जाने वाला जालियांवाला बाग हत्याकांड सभी भारतीयों के लिए एक ऐसा घाव है , जो कभी नहीं भर सकता । 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जालियांवाला बाग में लाखों निहत्थे भारतीयों पर जनरल डायर ने गोलियां चलवा दी थी । इस हादसे ने भारतीयों के मन में आजादी की चेतना को और हवा दी ।
26 दिसंबर 1989 को पंजाब के संगरूर जिले में जन्म उधम सिंह उन हजार लोगों में शामिल थे,जो 13 अप्रैल 1919 को वार्षिक बैसाखी उत्सव मनाने के लिए जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए थे । देश में राष्ट्रीय नेताओं की गिरफ्तारी को लेकर अमृतसर पहले से ही उबल रहा था । जनरल माइकल ओ डायर ने ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड हैरी डायर को कानून और व्यवस्था बहाल करने का काम सौंपा। इस समय जबरन भर्ती और भारी कर लगान सहित कई कारणों से भारतीय लोगों में औपनिवेशिक सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ गुस्सा था। ऐसे में लोगों पर नियंत्रण कायम करने के लिए जनरल डायर ने सार्वजनिक समारोह पर प्रतिबंध लगा दिया और अन्य दंडात्मक उपायों के अलावा लोगों के अंधाधुन गिरफ्तारी का आदेश दे दिया।
13 अप्रैल 1919 को जब हजारों पुरुष महिलाएं और बच्चे जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए जनरल डायर ने अपने सैनिकों को गोलियां चलाने का आदेश दे दिया । आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस हत्याकांड में 379 लोग मारे गए और लगभग 1200 लोग घायल हो गए।
उधम सिंह की बात करें तो वह जलियांवाला बाग में अपने दोस्तों के साथ उस बड़ी सभा में पानी परोसने का काम कर रहे थे । अपने माता-पिता को खोने के बाद उनका पालन पोषण सेंट्रल खालसा अनाथालय ने किया था । इस नरसंहार ने उन्हें लाखों भारतीयों की तरह डरा दिया लेकिन उन्होंने जनरल माइकल ओ डायर को मारने का फैसला लिया।
जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय उधम सिंह की आयु 20 वर्ष थी । संयुक्त राज्य अमेरिका जाने से पहले वह एक मजदूर के रुप में काम करने के लिए पूर्वी अफ्रीका गए जहां उन्होंने गदर पार्टी के सदस्यों से मुलाकात की जो ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता के लिए स्थापित एक अप्रवासी पंजाबी सिखों द्वारा गठित एक क्रांतिकारी समूह था।
1927 में भगत सिंह के आदेश पर पंजाब लौटने से पहले उधम सिंह ने गदर पार्टी के लिए समर्थन हासिल करने के लिए पूरे अमेरिका की यात्रा की। उधम सिंह भगत सिंह को अपना आदर्श मानते थे । हालांकि उन्हें अवैध हथियार रखने और गदर पार्टी के प्रकाशन, ग़दर दी गुंज को चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया और 4 साल के लिए जेल में डाल दिया गया।
बाद में 1931 में उधम सिंह को रिहा कर दिया गया और पुलिस की निगरानी से बचकर वह जर्मनी भाग गए । 1933 में जनरल माइकल ओ डायर को मारने के उद्देश्य से वह इंग्लैंड पहुंचे । जनरल डायर ने उस वक्त जलियांवाला बाग हत्याकांड को एक सही कार्रवाई के रूप में उचित ठहराया था।
13 मार्च 1940 को उधम सिंह ने लंदन के कैक्सटन हॉल ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और सेंट्रल एशियन सोसायटी की एक संयुक्त बैठक में जनरल ओ डायर को गोली मार दी लेकिन डायर को गोली मारने के बाद उधम सिंह वहां से भागे नहीं और उन्हें हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया । अपने ऊपर चल रहे मुकदमे के दौरान उधम सिंह ने कहा कि उन्होंने जनरल माइकल ओ डायर को मारने के लिए 21 साल इंतजार किया था क्योंकि ब्रिटिश अधिकारी ने हमारे लोगों की भावनाओं को कुचलने का प्रयास किया था इसलिए मैंने उन्हें कुचल दिया । 4 महीने बाद उधम सिंह को फांसी दे दी गई और 1940 उनका शव भारत को सौंप दिया गया।