Jagdeep Dhankhar Resigns: विश्वास और स्नेह जीवनभर याद रहेगा, राष्‍ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्‍यवाद, पढ़िए भावुक पत्र

By सतीश कुमार सिंह | Updated: July 21, 2025 22:57 IST2025-07-21T22:09:37+5:302025-07-21T22:57:49+5:30

Jagdeep Dhankhar Resigns:  मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।

Jagdeep Dhankhar Resigns Trust and affection remembered lifelong President Draupadi Murmu thanked Prime Minister Narendra Modi, read emotional letter | Jagdeep Dhankhar Resigns: विश्वास और स्नेह जीवनभर याद रहेगा, राष्‍ट्रपत‍ि द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्‍यवाद, पढ़िए भावुक पत्र

Jagdeep Dhankhar Resigns

HighlightsJagdeep Dhankhar Resigns: धनखड़ (74) ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था। Jagdeep Dhankhar Resigns: द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में कहा है कि विश्वास और स्नेह जीवनभर याद रहेगा।Jagdeep Dhankhar Resigns: कार्यकाल के दौरान दिए गए सहयोग के लिए गहरा आभार व्यक्त किया। 

नई दिल्लीः उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेज दिया और कहा कि वह तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं। धनखड़ ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा, "स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।" धनखड़ (74) ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था। 

  

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे पत्र में कहा है कि विश्वास और स्नेह जीवनभर याद रहेगा। जगदीप धनखड़ ने एक पत्र में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सांसदों के प्रति अपने कार्यकाल के दौरान दिए गए सहयोग के लिए गहरा आभार व्यक्त किया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेज दिया और कहा कि वह तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं। धनखड़ ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा, "स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।"

 

धनखड़ (74) ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला था और उनका कार्यकाल 2027 तक था। वह राज्यसभा के सभापति भी हैं और उन्होंने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन ही इस्तीफा दे दिया। हाल में उनकी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एंजियोप्लास्टी हुई थी।

राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने कार्यकाल में, धनखड़ का विपक्ष के साथ कई बार टकराव हुआ, जिसने उन पर महाभियोग चलाने का प्रस्ताव भी पेश किया था। उन्हें हटाने का प्रस्ताव, बाद में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खारिज कर दिया था। यह प्रस्ताव स्वतंत्र भारत में किसी वर्तमान उपराष्ट्रपति को हटाने का पहला मामला था।

धनखड़ पद पर रहते हुए इस्तीफा देने वाले दूसरे उपराष्ट्रपति हैं। इससे पहले वी वी गिरि ने 20 जुलाई, 1969 को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। धनखड़ का अचानक इस्तीफा राज्यसभा में सरकार के लिए एक आश्चर्यजनक घटनाक्रम के बाद आया है, क्योंकि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए विपक्ष द्वारा प्रायोजित एक प्रस्ताव उनके समक्ष प्रस्तुत किया गया था और उन्होंने सदन में इसका उल्लेख किया था।

यह घटनाक्रम सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए एक झटका है, जिसने लोकसभा में इसी तरह का नोटिस प्रायोजित किया था और विपक्ष को भी इसमें शामिल किया था। धनखड़ 2022 में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार थे। अपने त्यागपत्र में, धनखड़ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मंत्रिपरिषद और सभी सांसदों को उनके कार्यकाल के दौरान सहयोग देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा "मैं भारत के राष्ट्रपति के प्रति गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं, जिनका समर्थन अडिग रहा।

उनके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा।’’ धनखड़ ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है।" उन्होंने कहा, "सभी संसद सदस्यों से मुझे जो गर्मजोशी, विश्वास और स्नेह मिला है, वह सदैव मेरी स्मृति में रहेगा।"

धनखड़ ने यह भी कहा कि वह भारत के लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में प्राप्त अमूल्य अनुभवों और ज्ञान के लिए बहुत आभारी हैं। उन्होंने पत्र में कहा, "इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान भारत की उल्लेखनीय आर्थिक प्रगति और अभूतपूर्व विकास को देखना और उसमें भाग लेना सौभाग्य और संतुष्टि की बात है। हमारे राष्ट्र के इतिहास के इस परिवर्तनकारी युग में सेवा करना एक सच्चा सम्मान है।"

उन्होंने कहा, "इस सम्मानित पद से विदा लेते हुए, मैं भारत के वैश्विक उत्थान और अभूतपूर्व उपलब्धियों पर गर्व महसूस कर रहा हूं और इसके उज्ज्वल भविष्य में अटूट विश्वास रखता हूं।" धनखड़ का जन्म राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में किसान परिवार में 18 मई, 1951 को हुआ।

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