ग्रेटर नोएडा: केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने सूरजपुर के परेड ग्राउंड में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 59वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
जी किशन रेड्डी ने कहा कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) का गौरवशाली इतिहास रहा है, 1962 में स्थापना के बाद से ही आईटीबीपी देश की हिमालय सीमाओं की रक्षा बहुत वीरता से कर रहा है। आईटीबीपी को 2019-20 वित्त वर्ष के दौरान 7,223 करोड़ का बजट आवंटित किया गया, मैं यकीन दिलाना चाहता हूं कि ITBP को फ़ंड की कोई कमी नहीं आने देंगे।
रेड्डी ने शनिवार को लद्दाख में चीन के साथ चल रहे गतिरोध की पृष्ठभूमि में कहा कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने बीते कुछ महीनों के दौरान कुछ देशों का यह भ्रम तोड़ दिया कि उनके पास शक्तिशाली सेना है। रेड्डी आईटीबीपी के 59वें स्थापना दिवस के मौके पर बल के कर्मियों को संबोधित कर रहे थे।पिछले कुछ वर्षों में ITBP ने आधुनिक उपकरणों के साथ नवीनतम हथियार भी खरीदे हैं। ITBP ने सीमा सुरक्षा और नक्सल क्षेत्रों के लिए 28 नवीनतम वाहन खरीदे हैं।
आईटीबीपी 59वें स्थापना दिवस परेड 2020 पर डीजी एसएस देसवाल ने कहा कि ITBP को नवीनतम बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट मिल रहे हैं। साथ ही, हमने नवीनतम हथियारों की खरीद प्रक्रिया पूरी कर ली है। सीमाओं के लिए, हमने मजबूत संचार के लिए वी-सैट सिस्टम स्थापित किए हैं।
देसवाल ने कहा कि ITBP ने छावला में पहला COVID देखभाल केंद्र स्थापित किया था, जहाँ चीन और इटली के नागरिकों सहित 7 देशों के बच्चों और 42 अन्य नागरिकों सहित लगभग 1200 भारतीयों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएँ मिलीं। यह हमारे लिए गर्व की बात है।
उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि भारत "वसुधैव कुटुम्बकम्" (धरती ही परिवार है) के दर्शन पर विश्वास रखता है और देश की संस्कृति हमें "शास्त्र और अस्त्र" दोनों की पूजा करना सिखाती है। रेड्डी ने कहा, " यह हमें सिखाती है कि शत्रु कभी भी और कहीं भी अपना सिर उठा सकता है। इसलिए हमें किसी भी अंदेशे का सामना के लिए तैयार रहना चाहिए।
आईटीबीपी देश की उस तैयारी का एक अहम स्तंभ
आईटीबीपी देश की उस तैयारी का एक अहम स्तंभ है।" उन्होंने कहा, " कुछ देशों की सेनाओं को यह भ्रम था कि वे विश्व की शक्तिशाली सेनाओं में शामिल हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रम के दौरान आईटीबीपी ने यह भ्रम तोड़ दिया है।" मंत्री ने कहा कि देश और इसके नागरिकों को आईटीबीपी की वीरता और समर्पण पर गर्व है। आईटीबीपी भारत-चीन के बीच की 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रखवाली करने वाला विशिष्ट बल है।
गौरतलब है कि आईटीबीपी ने कुछ समय पहले कहा था कि 15-16 जून को भारत और चीन के बीच हिंसक संघर्ष के दौरान "उसने पूरी रात लड़ाई लड़ी थी" और चीन के पीएलए के सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया। रेड्डी ने कहा कि बल सिर्फ सरहदों और देश की आंतरिक सुरक्षा की रखवाली नहीं कर रहा है, बल्कि देश के आर्थिक हितों की भी रक्षा कर रहा है। उन्होंने कहा, "हमारा देश शत्रूतापूर्ण पड़ोसियों से घिरा हुआ है और हमारे दुश्मन बार-बार हमारा आर्थिक विकास रोकने के लिए अड़ंगे लगाते हैं। जब आप दुश्मनों की इस योजना को पराजित करते हैं तो आप देश का आर्थिक विकास सुनिश्चित करते हैं। "
रेड्डी ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार बल को मजबूत और "आधुनिक" करने के लिए "दृढ़" है और उन्होंने हाल में बल को दी गईं कुछ मंजूरियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, "मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आईटीबीपी को 47 सीमा चौकियों पर स्थापित करने के लिए, समान विशेष कपड़े और ज्यादा ऊंचाई वाले स्थानों के लिए पर्वतारोहण उपकरणों के वास्ते गृह मंत्रालय द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है तथा आधुनिकतम हथियार प्रदान किए जा रहे हैं।"
मंत्री ने कहा कि केंद्र ने वित्त वर्ष 2019-20 में बल के लिए 7,223 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी थी। आईटीबीपी के महानिदेशक सुरजीत सिंह देसवाल ने कार्यक्रम में लद्दाख में हाल में जवानों द्वारा " बहुत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों" में प्रदर्शित की गई बहादुरी के लिए उनकी सराहना की।
उन्होंने बताया कि चीनी सैनिकों के खिलाफ लड़ने वाले कुछ जवानों को वीरता मेडल देने के लिए सरकार को सिफारिश की गई है। देसवाल ने बताया कि बल ने "भारत-चीन सीमा सड़क के फेज-2" निर्माण के लिए एक प्रस्ताव को अंतिम रूप देकर गृह मंत्रालय को भेज दिया है। आईटीबीपी का गठन 1962 में चीनी हमले के बाद किया गया था। बल की क्षमता 90,000 कर्मियों की है जिसमें 60 बटालियन हैं।