Rahul Gandhi’s 'Fight Against Indian State' Remarks: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का विवादित बयानों का इतिहास रहा है, जो अक्सर राजनीति और शासन के बारे में उनकी समझ पर सवाल उठाते हैं। पिछले दो दशकों में उनकी कई टिप्पणियों को नासमझी बताकर खारिज कर दिया गया है, लेकिन "इंडियन स्टेट से लड़ाई" उनके इस हालिया बयान ने क्या उन्हें संदेह के गहरे दलदल में धकेल दिया है?
दरअसल, बुधवार को गांधी ने घोषणा की, "हम भाजपा, आरएसएस और भारतीय राज्य के खिलाफ लड़ रहे हैं।" उन्होंने आगे जोर दिया कि यह कोई राजनीतिक संघर्ष नहीं है, जिससे उनकी मंशा और वैचारिक स्थिति पर चिंताएं बढ़ गई हैं।
भोलेपन से लेकर सोची-समझी उकसावेबाजी तक
क्या संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के रूप में, यह बयान राष्ट्र की अखंडता के प्रति गंभीर उपेक्षा को दर्शाता है? हालांकि यह पहली बार नहीं है जब गांधी ने भारत की एकता पर सवाल उठाया है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि "भारत एक राष्ट्र नहीं है" बल्कि केवल "राज्यों का एक संघ है।"
राष्ट्रवादी सोच के मुताबिक, ऐसे बयान राष्ट्रवाद के मूलभूत सिद्धांतों को कमजोर करते हैं, जिसका वह विरोध करने पर आमादा दिखते हैं। उनकी हालिया टिप्पणियों से यह धारणा मजबूत होती है कि वह भारत को एक एकीकृत राष्ट्र-राज्य के रूप में नहीं मानते।
कांग्रेस विरोधी मानते हैं कि भारतीय राज्य के खिलाफ लड़ाई की घोषणा करके, गांधीजी ने अप्रत्यक्ष रूप से देश की एकता के प्रतीकों- उसके झंडे, राष्ट्रगान और संविधान को निशाना बनाया है। इस तरह की बयानबाजी भारत की संप्रभुता और अखंडता के मूल को चुनौती देती है, तथा इसके विविध लोगों को जोड़ने वाले धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने में दरारें पैदा करती है।