नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की जमानत याचिका का मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में विरोध किया।
ईडी ने दावा किया कि उन्होंने (चिदंबरम) ‘‘निजी लाभ’’ के लिए वित्त मंत्री के ‘‘प्रभावशाली पद’’ का इस्तेमाल किया और उससे अर्जित अवैध धन को वैध बनाने का काम किया।
शीर्ष अदालत में दायर जवाबी हलफनामे में ईडी ने आरोप लगाया कि चिदंबरम जमानत के हकदार नहीं हैं क्योंकि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि वह ‘‘सबूत नष्ट करने में लिप्त’’ रहे हैं और गवाहों को प्रभावित कर रहे हैं।
ईडी ने दावा किया कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री चिदंबरम ‘‘बहुत बुद्धिमान और प्रभावशाली व्यक्ति’’ हैं और उनकी मात्र उपस्थिति ही गवाहों को भयभीत कर सकती है। इस बात के प्रत्यक्ष सबूत हैं जो दर्शाते है कि उन्होंने गवाहों पर जांच में शामिल नहीं होने के लिए दबाव डाला है।
चिदंबरम (74) ने 15 नवम्बर के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है जिसमें आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में उन्हें जमानत दिये जाने से इनकार कर दिया गया था।
चिदंबरम की जमानतक याचिका पर सुनाई बुधवार तक स्थगित
न्यायमूर्ति आर भानुमति की अध्यक्षता वाली एक पीठ के समक्ष मंगलवार को यह मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था। मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई क्योंकि ईडी की ओर से पेश होने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ के समक्ष एक अलग मामले की सुनवाई में व्यस्त थे। सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था और इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने 22 अक्टूबर को उन्हें जमानत दे दी थी।
ईडी ने धनशोधन मामले में उन्हें 16 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था और वह न्यायिक हिरासत में हैं। सीबीआई ने 15 मई, 2017 को मामला दर्ज किया था जिसमें आईएनएक्स मीडिया समूह को 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी देने में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। इस दौरान चिदंबरम वित्त मंत्री थे। इसके बाद ईडी ने भी इसी संबंध में 2017 में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था।