Labour Day: 134 साल पहले शुरू हुई मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत, हेमार्केट गोलीकांड के बाद बदली मजदूरों की जिंदगी
By निखिल वर्मा | Published: May 1, 2020 06:19 AM2020-05-01T06:19:14+5:302020-05-01T09:01:16+5:30
अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मेहनतकश मजदूरों के लिए समर्पित है. किसी भी देश की अर्थव्यवस्था मजदूरों के बदौलत ही खड़ी होती है, इसके बावजूद आज भी मजदूर हाशिए पर ही हैं. सिर्फ मजदूर दिवस के दिन ही नहीं बल्कि साल के हर दिन मजदूरों के सम्मान और हक में खड़े होने की जरूरत है.
1880 के दशक में अमेरिका और यूरोपीय देशों में मजदूर अपनी मांगों को लेकर मुखर होने लगे थे। उस समय अमेरिका का शिकागो शहर श्रमिक आंदोलन का बड़ा केंद्र बनकर उभरा। 1886 में अमेरिका के शिकागो शहर में काम के 8 घंटे निर्धारित करने की मांग को लेकर मजदूरों का जबरदस्त आंदोलन हुआ है। काम के घंटे तय करने के लिए कई मजदूर संगठनों ने हड़ताल कर दी।
श्रमिकों का हड़ताल धीरे-धीरे उग्र होता चला गया है। हड़ताल के दौरान ही शिकागो के हेमार्केट में बम ब्लास्ट हुआ है। इसके बाद हड़ताल के निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी। इस घटना में कई मजदूर घायल हुए और कई लोग घायल हो गए। इसके ठीक तीन साल बाद फ्रांस की राजधानी पेरिस में 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी आंदोलन सम्मेलन हुआ जिसमें यह ऐलान किया गया कि हेमार्केट में मारे गए निर्दोष लोगों की याद में एक मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाएगा। साथ ही इस दिन सभी कामगारों और श्रमिकों का अवकाश रहेगा। वर्तमान में दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में मजदूर दिवस के दिन सरकारी छुट्टी होती है।
भारत में 1923 में हुई मजदूर दिवस की शुरुआत
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई थी। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान के नेता और कामरेड सिंगारावेलु चेट्यार के नेतृत्व में मद्रास में पहली बार मजूदर दिवस मनाया गया। चेट्यार के नेतृत्व में मद्रास हाईकोर्ट सामने बड़ा प्रदर्शन किया गया और इस दिन को पूरे भारत में “मजदूर दिवस” के रूप में मनाने का संकल्प लिया। साथ ही छुट्टी का ऐलान किया था।