India's Space Station: भारत 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है और केंद्र सरकार ने हाल ही में इसके लिए प्रस्ताव को मंजूरी दी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कहा है कि एक बार अंतरिक्ष स्टेशन बन जाने के बाद, एजेंसी की योजना है कि भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा इसे अपना आधार बनाने से पहले प्रारंभिक चरण के लिए मिशन को रोबोटिक का रखा जाए। यानी कि इंसानों से पहले इसका प्रबंधन रोबोट करेंगे।
CNN-News18 से एक बातचीत के दौरान इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि हम योजना बना रहे हैं कि यह अधिक रोबोटिक प्रकृति का होगा क्योंकि अब अधिकांश काम रोबोट द्वारा किया जाता है। एक बार जब हमें सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण का वातावरण मिल जाता है तो हम वहां इंसान भेज सकते हैं और वापस ला सकते हैं। एस सोमनाथ ने कहा कि हम इस तरह से आगे बढ़ रहे हैं कि पहला चरण रोबोटिक होगा। उसके बाद, हमारे पास अंतरिक्ष यात्रियों के साथ एक नियमित मिशन होगा।
इसरो प्रमुख ने कहा कि भारत की योजना 2028 तक शुक्र की परिक्रमा करने वाले मिशन की भी है। हालाँकि भारत ने मंगल की परिक्रमा करने वाले मिशन को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, लेकिन शुक्र के मामले में स्थिति अलग है। इस ग्रह पर वायुमंडलीय दबाव अन्य ग्रहों की तुलना में अधिक है, तथा इसके चारों ओर घने बादल हैं।
सोमनाथ ने कहा कि शुक्र का वातावरण मंगल से अलग है तथा इसके वैज्ञानिक लक्ष्य भी अलग हैं। मंगल पर दुर्लभ वातावरण है, जबकि शुक्र पर घना वातावरण है। उस वातावरण की जांच करना आसान नहीं है तथा अभी तक किसी ने शुक्र की सतह को नहीं देखा है, क्योंकि इसके चारों ओर दबाव के साथ-साथ घने बादल हैं। इसलिए, हमारा लक्ष्य कक्षा के चारों ओर एक उपग्रह स्थापित करना, वायुमंडल में एक जांच भेजना तथा माप करना है।
भारत को शुक्र पर केवल एक बार 2028 में जाने का मौका मिलेगा, जब यह ग्रह पृथ्वी के करीब आएगा, उसके बाद यह एक बार फिर सूर्य के दूसरी ओर चला जाएगा तथा उस तक पहुँचा नहीं जा सकेगा।
बोइंग स्टारलाइनर घटना का गगनयान पर कोई असर नहीं पड़ेगा
बोइंग स्टारलाइनर घटना के कारण सुनीता विलियम्स समेत दो अंतरिक्ष यात्री अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर फंसे हुए हैं। सोमनाथ ने कहा कि इससे भारत की गगनयान योजनाओं पर कोई असर नहीं पड़ा है। इसरो प्रमुख ने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी सतर्क है। लेकिन जिस चीज ने गगनयान मिशन की समयसीमा को थोड़ा बढ़ा दिया है, वह है गगनयान के लिए स्वदेशी तकनीक और विनिर्माण को इसरो की प्राथमिकता, जो इस परियोजना को लागत प्रभावी भी बनाती है।
सोमनाथ ने कहा कि गगनयान योजना के अनुसार चल रहा है, लेकिन इसमें कुछ देरी हो रही है, मुख्य रूप से तकनीकी जटिलता के कारण। हम बाहर से कुछ खरीद की उम्मीद कर रहे थे, जो नहीं हुई। कुछ निर्माण जो होने थे, वे नहीं हुए। इसलिए, अब सब कुछ भारत में ही करना होगा। एचएएल भागीदार है और क्रू मॉड्यूल बना रहा है, जिसे हम पहले यूरोप से प्राप्त करने के बारे में सोच रहे थे। इसी तरह, पर्यावरण नियंत्रण और जीवन रक्षक प्रणाली जिसे हम किसी अन्य देश से प्राप्त करने की योजना बना रहे थे, वह भी नहीं हुई, इसलिए हम इसे भारत में बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अब सब कुछ भारत में ही करने की आवश्यकता है। यह सब उम्मीद से थोड़ा अधिक समय ले गया। हम इस बात पर विचार कर रहे हैं कि इस वर्ष के अंत में मानव रहित मिशन कैसे लॉन्च किया जाए। परिणामों के आधार पर, हम 2025 में दो और मिशन करेंगे।
चाहे वह चंद्रयान-4 हो, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण हो या न्यू जेनरेशन लॉन्च व्हीकल (एनजीएलवी) हो, सभी मिशन 2040 में चंद्रमा की सतह पर भारत के मानवयुक्त मिशन और उसके बाद चंद्रमा पर एक स्थायी निवास बनाने के लिए क्षमता निर्माण के रूप में कार्य करेंगे। मौजूदा लॉन्च व्हीकल्स की वहन क्षमता 10 टन है जिसे एनजीएलवी द्वारा बढ़ाकर 30 टन किया जाएगा। इसरो प्रमुख ने कहा, "हम 2040 तक चांद की सतह पर किसी भारतीय के मिशन को पूरा करना चाहते हैं। इसके लिए हमें तैयारी करनी होगी और कई क्षमताएं हासिल करनी होंगी।