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भारतीय सेना साइबर और अंतरिक्ष युद्ध क्षमताओं का विस्तार करेगी, नए जमाने के युद्ध के हिसाब से होगी तैयारी

By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 31, 2023 21:23 IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइबर और अंतरिक्ष युद्ध के खतरों से निपटने के साथ-साथ इस क्षेत्र में भारत की आक्रामक क्षमताओं को तैयार करने के लिए पांच साल पहले रक्षा साइबर एजेंसी और स्पेस साइबर एजेंसी सहित दो एजेंसियों के निर्माण को मंजूरी दी थी।

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ठळक मुद्देभारतीय सेना युद्ध के नए तौर-तरीकों को देखते हुए अपनी क्षमताओं को लगातार बढ़ाने में जुटी हुई है सरकार तीन नए थिएटर कमांड के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रही हैसाइबर और अंतरिक्ष युद्ध क्षमताओं को और अधिक विस्तारित और उन्नत किया जाएगा

नई दिल्ली: भारतीय सेना दुनिया भर में तेजी से बदल रहे परिदृश्य और युद्ध के नए तौर-तरीकों को देखते हुए अपनी क्षमताओं को लगातार बढ़ाने में जुटी हुई है। भारतीय सेना में सरकार  तीन नए थिएटर कमांड के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसी के साथ सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) अपनी साइबर और अंतरिक्ष युद्ध क्षमताओं को और अधिक विस्तारित और उन्नत करने पर विचार कर रहा है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने साइबर और अंतरिक्ष युद्ध के खतरों से निपटने के साथ-साथ इस क्षेत्र में भारत की आक्रामक क्षमताओं को तैयार करने के लिए पांच साल पहले रक्षा साइबर एजेंसी और स्पेस साइबर एजेंसी सहित दो एजेंसियों के निर्माण को मंजूरी दी थी। इन एजेंसियों का नेतृत्व सेना के मेजर जनरल-रैंक अधिकारी करते हैं।

हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान ये साइबर हमलों में नए तरह के प्रयोग देखने को मिले। रूस-यूक्रेन के युद्ध के दौरान अंतरिक्ष और उपग्रह सेवाओं का भी प्रयोग किया गया। अब अपने अनुभवों के साथ, डीएमए साइबर एजेंसी का विस्तार करने और चुनौतियों से निपटने के लिए और अधिक ताकत रखने की संभावना देख रहा है। 

गलवान में चीन के साथ हुई झड़प के बाद भारतीय रक्षा विशेषज्ञों ने माना था कि देश की अखंडता के लिए अब सबसे बड़ा खतरा चीन है। चीन अंतरिक्ष और साइबर मामलों में हमेशा नए प्रयोग करता रहता है और यही कारण है कि भारतीय सेना भी अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को मजबूत करने पर जोर दे रही है। थियेटर कमांड बनने के बाद कमांडरों को खतरों का आकलन करने और उनसे निपटने में मदद के लिए बेहतर साइबर नेटवर्क की जरूरत होगी जो बेहद सुरक्षित हों। इस पर अब युद्धस्तर पर काम शुरू हो गया है।

सेनाएं इन एजेंसियों में स्थायी या दीर्घकालिक साइबर और अंतरिक्ष विशेषज्ञ रखने पर विचार कर रही हैं जो उन्हें लंबी अवधि के लिए अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करने में मदद कर सकते हैं। महत्वपूर्ण विस्तार की आवश्यकता को देखते हुए एजेंसियों को लेफ्टिनेंट जनरल-रैंक अधिकारियों के अधीन भी रखा जा सकता है।

बता दें कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तहत डीएमए को सरकार द्वारा थिएटर कमांड बनाने का काम सौंपा गया है जो भविष्य के युद्धों से लड़ने के लिए अर्थपूर्ण और तेज तर्रार लड़ाकू संरचनाएं तैयार करेगा। सेनाओं के बीच थिएटर कमांड पर चर्चा चल रही है और लगभग सभी मुद्दों पर सेवाओं और शीर्ष अधिकारियों के बीच आम सहमति से संरचनाओं को जल्द ही अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।

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