जम्मू, 11 जनवरी। लद्दाख सेक्टर में एलएसी के उन इलाकों में जहां चीनी सेना कब्जा जमा कर बैठी है, वहां तापमान शून्य से 35 डिग्री नीचे चल रहा है। दोनों मुल्कों की सेनाएं आमने सामने डटी हैं। सैनिक हटाने को वार्ता के 8 बेनतीजा दौर हो चुके हैं। और अब यह बेहद चौंकाने व चेतावनी वाली खबर है कि कुछ इलाकों में चीन भयानक सर्दी के बावजूद अपनी सेना व सैपिक साजो सामान को भारतीय सेना से मात्र 100 मीटर की दूरी पर ले आया है। इसे सैन्य भाषा में आइ-बाल टू आइ बाल की पोजिशन कहा जाता है।
इसकी पुष्टि उन तस्वीरों से भी हुई हे जो सामने आई हैं। इन तस्वीरों के बकौल, दोनों देशों के कैंप और सैनाओं की तैनाती साफ दिखाई दे रही है। इन तस्वीरों में साफ दिखाई पड़ रहा है कि भारत और चीन के टैंक, आईसीवी और सैनिक एलएसी पर महज 100 मीटर की दूरी पर हैं यानि आइ बाल टू आइ बाल हैं। ये तस्वीरें ऐसे समय में सामने आइ र्हैं जब भारतीय सेना ने एलएसी पार कर भारतीय सीमा में आए एक चीनी सैनिक को पकड़ लिया था और आज हालांकि भारतीय सेना ने इस चीनी सैनिक को चीन की पीएलए-आर्मी के हवाले कर दिया।
सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रही इन तस्वीरों में किसी ने एडिट कर एक लाइन खींच कर एलएसी यानि लाइन आफ एक्चुयल कंट्रोल दिखाने की कोशिश की है। साथ ही चीनी भाषा में भारत और चीन की सेनाओं के कैंप, टैंक, इंफेंट्री काम्बेट व्हीकल्स (आईसीवी, जिन्हें बीएमपी भी कहा जाता है) और सैनिक भी दिखाई पड़ रहे हैं। भारत के चुशूल सेक्टर का ये वही इलाका है जहां क्रिसमस और नववर्ष के अवसर पर थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने दौरा किया था। उस वक्त उन्होनें वहां तैनात सैनिकों का हौंसला तो बढ़ाया ही था साथ ही आर्मर्ड (टैंक) ब्रिगेड और मैकेनाइज्ड इंफेंट्री (जिसके अंतर्गत बीएमपी व्हीकल्स आती हैं) की आपरेशन्ल तैयारियों की समीक्षा की थी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ये तस्वीर गूगल-अर्थ से ली गई है और रेचिन ला दर्रे की ही है। खास बात ये है कि ये तस्वीरें ऐसे समय में सामने आई हैं जब चीन की पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) के एक सैनिक को इसी रेचिन ला दर्रे के करीब भारतीय सेना ने एलएसी पार कर भारत के सैन्य-कैंप में आने के दौरान पकड़ लिया था। सूत्रों के मुताबिक, बहुत हद तक संभव है कि इन तस्वीरों को जानबूझकर चीन ने इसलिए लीक किया हो ताकि दिखा सके कि भारत और चीन की सैन्य-छावनियां कितनी करीब करीब हैं। ऐसे में सैनिक भटककर दुश्मन देश के खेमें मे जा सकते हैं।