Chabahar port: भारत द्वारा ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह संचालित करने के लिए 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के बाद अमेरिका ने ईरान के साथ व्यापार समझौते पर विचार करने वाले किसी भी देश के लिए संभावित प्रतिबंधों की चेतावनी दी है। भारत ने 2016 में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए एक समझौता किया था। इसे और विकसित करने के लिए सोमवार, 13 मई को एक दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
समझौते पर हस्ताक्षर के बाद भारत में इसे "भारत-ईरान संबंधों में ऐतिहासिक क्षण" कहा गया। लेकिन यह कदम अमेरिका को पसंद नहीं आया। अमेरिका ने पिछले तीन वर्षों में ईरान से संबंधित संस्थाओं पर 600 से अधिक प्रतिबंध लगाए हैं।
मंगलवार, 14 मई को एक प्रेस वार्ता में अमेरिकी विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने समझौते के बारे में पूछे जाने पर कहा कि ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध अभी भी लागू हैं और वाशिंगटन उन्हें लागू करना जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि कोई भी इकाई, कोई भी व्यक्ति जो ईरान के साथ व्यापारिक समझौते पर विचार कर रहा है, उन्हें उन संभावित जोखिमों और प्रतिबंधों के संभावित जोखिम के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है।
भारत ने अभी तक इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। भारत ने 2018 के अंत में बंदरगाह का संचालन अपने हाथ में ले लिया था। चाबहार पोर्ट का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसके द्वारा पाकिस्तान के भूमि मार्ग का बिना इस्तेमाल किए बिना भारतीय वस्तुओं और उत्पादों के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए एक रास्ता मिल जाता है। अधिकारियों का कहना है कि अब तक चाबहार बंदरगाह के जरिए भारत से अफगानिस्तान तक 2.5 मिलियन टन गेहूं और 2,000 टन दालें भेजी जा चुकी हैं।
भारत के शिपिंग मंत्रालय ने सोमवार, 13 मई को बताया था कि इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) और पोर्ट एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन ऑफ ईरान ने बंदरगाह के विकास के लिए एक दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड और ईरान के बंदरगाह एवं समुद्री संगठन द्वारा तेहरान में अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। यह पहला मौका है जब भारत विदेश में स्थित किसी बंदरगाह का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा। चाबहार भारत को मध्य एशिया से जोड़ेगा।