कोलंबो: भारत ने श्रीलंका को एक डोर्नियर मैरीटाइम पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट उपहार के रूप में दिया है। भारत ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब चीन का एक खोजी पोत श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पहुंचा है। भारत ने इस चीनी पोत के श्रीलंका पहुंचने पर कड़ी आपत्ति भी जताई थी। दरअसल चीनी खोजी पोत श्रीलंका में जहां पहुंच रहा है वहां से भारतीय तट की दूरी केवल 50 किलोमीटर है। ऐसे में भारत ने आशंका जताई थी कि चीन खोज और अनुसंधान की आड़ में जासूसी का काम कर सकता है।
दरअसल हिंद महासागर में श्रीलंका की स्थिति उसे रणनीतिक रूप से बेहद अहम बना देती है। इसलिए चीन और भारत दोनो की कोशिश श्रीलंका को अपने पाले में रखने की होती है। भारत लगातार श्रीलंका की मदद करता रहता है। हाल ही में श्रीलंका में राजनीतिक हालात से पैदा हुए आर्थिक संकट के दौरान भारत ने राशन, दवाएं और आर्थिक रूप से श्रीलंका की मदद की थी। अब भारत ने डोर्नियर मैरीटाइम पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट उपहार के रूप में दिया है।
भारतीय नौसेना के वाइस चीफ ने ये टोही विमान कोलंबो में श्रीलंका की सेना को राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की मौजूदगी में सौंपा। कोलंबो में आयोजित सैन्य समारोह में श्रीलंकाई राष्ट्रपति विक्रमसिंघे और भारतीय नौसेना के सह-प्रमुख, वाइस एडमिरल एस एन घोरपडे के अलावा श्रीलंका के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, श्रीलंकाई रक्षा सचिव और श्रीलंका में भारतीय हाई कमिश्नर, गोपाल बागले भी मौजूद थे।
ये टोही विमान भारत की सागर-नीति यानी सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन के तहत श्रीलंका को सौंपा गया। सुरक्षा विशेज्ञों का कहना है कि डोर्नियर एयरक्राफ्ट के शामिल होने से श्रीलंकाई मैरीटाइम सिक्योरिटी क्षमताएं काफी बढ़ जाएंगी। डोर्नियर एयरक्राफ्ट उपहार स्वरूप भेंट करना भारत और श्रीलंका के द्विपक्षीय संबंधों में एक मील का पत्थर साबित होगा। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भारत का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह समुद्री निगरानी में भारतीय नौसेना के साथ श्रीलंकाई वायुसेना, श्रीलंकाई नौसेना के बीच सहयोग की शुरुआत है।