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सुशांत सिंह राजपूत मामले में महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया

By भाषा | Updated: August 11, 2020 20:08 IST

बिहार सरकार ने यह भी दावा किया कि मुंबई पुलिस ने उसे न तो सुशांत सिंह राजपूत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध करायी और न ही उसने अभी तक इस मामले में कोई प्राथमिकी ही दर्ज की है।

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ठळक मुद्देन्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की एकल पीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान रिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान की दलीलें सुनीं।महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिघवी, राजपूत के पिता की ओर से वरिष्ठ आधिवक्ता विकास सिंह ने अपना पक्ष रखा।

नयी दिल्ली: अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में बिहार सरकार के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया तो वहीं दिवंगत अभिनेता के पिता ने कहा कि मुंबई पुलिस सही दिशा में मामले की जांच नहीं कर रही है।

बिहार सरकार ने न्यायालय में कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु को लेकर पटना में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी विधिसम्मत और वैध है। बिहार ने इस मामले की जांच में सहयोग नहीं करने का महाराष्ट्र पर आरोप लगाया। राज्य सरकार ने यह भी दावा किया कि मुंबई पुलिस ने उसे न तो सुशांत सिंह राजपूत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध करायी और न ही उसने अभी तक इस मामले में कोई प्राथमिकी ही दर्ज की है।

सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के संबंध में दिवंगत अभिनेता के पिता कृष्ण किशोर सिंह द्वारा पटना के राजीव नगर थाने में दर्ज प्राथमिकी मुंबई स्थानांतरित करने के लिये अभिनेत्री रिया चक्रवती की याचिका पर मंगलवार को न्यायालय ने सुनवाई की। इस प्राथमिकी में रिया और उसके परिवार के सदस्यों सहित छह अन्य व्यक्तियों पर सुशांत को आत्महत्या के लिये मजबूर करने सहित कई गंभीर आरोप लगाये गये हैं।

न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की एकल पीठ ने याचिका पर सुनवाई के दौरान रिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान की दलीलें सुनीं तो मामले में बिहार सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिन्दर सिंह, महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिघवी, राजपूत के पिता की ओर से वरिष्ठ आधिवक्ता विकास सिंह और केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अपना अपना पक्ष रखा।

न्यायमूर्ति रॉय ने करीब तीन घंटे की सुनवाई के बाद संबंधित पक्षों से कहा कि वे 13 अगस्त तक अपनी लिखित दलीलें पेश कर सकते हैं जो दो पेज से ज्यादा नहीं हों। पीठ इस याचिका पर फैसला बाद में सुनायेगी। सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ से कहा कि इस मामले में बिहार के पास कोई अधिकार नहीं है। सिंघवी ने कहा कि इससे पहले उन्होंने कभी भी किसी स्थानांतरण याचिका को इतना ज्यादा सनसनीखेज बनते नहीं देखा है।

उन्होंने कहा कि राजपूत के पिता द्वारा रिया चक्रवर्ती के खिलाफ पटना में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कोई मामला नहीं बनता है। राजपूत के पिता कृष्ण किशोर सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि उनका मामला सिर्फ सही तरीके से जांच के बारे में है और मुंबई पुलिस की जांच सही दिशा में नहीं है।

उन्होंने कहा कि सुशांत की गर्दन पर बना निशान शरीर के लटकने से बना नहीं लगता है और उन्होंने तो शव बिस्तर पर रखा हुआ देखा। केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुंबई में तो कोई प्राथमिकी ही दर्ज नहीं की गयी है और दंड प्रक्रया संहिता की धारा 154 के तहत प्राथमिकी दर्ज करने और मजिस्ट्रेट को इसकी जानकारी दिये बगैर कोई जांच ही नहीं की जा सकती।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कोई जांच लंबित नहीं होने के कारण इस मामले की जांच स्थानांतरित करने का सवाल ही नहीं उठता हैं मेहता ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में कतिपय पहलुओं और बिन्दुओं की जांच कर रहा है। इससे पहले, याचिका पर सुनवाई शुरू होते ही रिया चक्रवर्ती की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने पटना में राजपूत के पिता द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी का जिक्र किया और कहा कि शिकायत में लगाये गये सारे आरोपों का संबंध मुंबई से है।

उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि इस मामले में राज्य सरकार का बहुत ज्यादा दखल और असर है और इसीलिए इसमें दुराग्रह की आशंका है। उन्होंने इस मामले में सिलसिलेवार घटनाक्रम का जिक्र किया और कहा कि पटना में प्राथमिकी दर्ज कराने में 38 दिन से भी ज्यादा का विलंब हुआ है।

दीवान ने कहा कि मुंबई पुलिस ने अब तक इस मामले में 58 व्यक्तियों के बयान दर्ज किये हैं और इस मामले की जांच में काफी प्रगति हुयी है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस समय सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले का समानांतर मीडिया ट्रायल भी हो रहा है। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति राय ने जब दीवान से कहा कि रिया चक्रवर्ती ने अपनी याचिका में इस मामले की सीबीआई जांच कराने का अनुरोध किया है। पीठ ने कहा, ‘‘यह एक अन्य पहलू है कि सीबीआई इसमें कैसे आयेगी।’’

दीवान ने कहा कि वह इस मामले की किसी निष्पक्ष जांच एजेन्सी से निष्पक्ष जांच चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर कई अन्य मुद्दे भी हैं जैसे बिहार ने कैसे सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी और कैसे इसके बाद आदेश जारी किये गये। दीवान ने कहा, ‘‘मैं (रिया) अपने उस कथन पर टिकी हूं जो मैंने अपनी याचिका और अतिरिक्त हलफनामे में कहे हैं।’’ बिहार सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिन्दर सिंह ने इन आरोपों का जोरदार प्रतिवाद किया कि यह प्राथमिकी राज्य के मुख्यमंत्री के इशारे पर दर्ज की गयी है।

उन्होंने बिहार पुलिस के एक आईपीएस अधिकारी का मुंबई में जबरन पृथकवास कराये जाने की ओर भी न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया । न्यायालय ने पांच अगस्त को रिया की याचिका पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत एक प्रतिभाशाली होनहार कलाकार थे और उनकी मृत्यु के कारणों की सच्चाई सामने आनी ही चाहिए। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुयी जिसमें एक प्रतिभाशाली कलाकार का निधन ऐसी परिस्थितियों में हो गया जो अस्वाभाविक हैं।

अब उन परिस्थितियों की जांच की आवश्यकता है जिनमें यह मौत हुयी।’’ केन्द्र ने भी न्यायालय को सूचित किया था कि ‘‘प्राधिकारियों ने सिद्धांत रूप में इस मामले की सीबीआई जांच कराने का बिहार पुलिस का अनुरोध स्वीकार करने का निर्णय लिया है। शीर्ष अदालत ने सारे तथ्यों पर विचार के बाद इस मामले में संबंधित पक्षों- राजपूत के पिता कृष्ण किशोर सिंह, बिहार सरकार एवं महाराष्ट्र सरकार को रिया चक्रवर्ती की यचिका पर तीन दिन में अपना अपना दृष्टिकोण रिकार्ड पर लाने का निर्देश दिया था।

इसके अलावा, मुंबई पुलिस को इस मामले में अब तक की जांच की प्रगति से न्यायालय को अवगत कराने का भी निर्देश दिया गया था। बालीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (34) मुंबई के उपनगर बांद्रा में अपने मकान में 14 जून को मृत पाये गये थे। 

टॅग्स :सुशांत सिंह राजपूतसुप्रीम कोर्ट
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