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हिमाचल प्रदेश में रीसस मकाक बंदरों को मारने की मंजूरी को एक साल के लिए और बढ़ाया गया

By प्रिया कुमारी | Updated: May 29, 2020 14:49 IST

किसानों-बागवानों को राहत मिली है हिमांचल प्रदेश में किसानों और बागवानों के लिए मुसीबत बने बंदरों को मारने के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है।

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ठळक मुद्देहिमांचल प्रदेश में किसानों के लिए मुसीबत बने बंदरों को मारने के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। हालांकि ये मंजूरी पहले भी मिल चुकी है लेकिन इस 1 साल के लिए बढ़ा दिया गया है।

हिमांचल प्रदेश में किसानों के लिए मुसीबत बने रीसस मकाक प्रजाति बंदरों को मारने के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। केवल निजी भूमि में नुकसान पहुंचाने वाले बंदरों को मारा जा सकता है। मंडी जिला की 10 तहसीलों समेत प्रदेश की 91 तहसीलों के किसानों-बागवानों को राहत मिली है। हालांकि ये मंजूरी पहले भी मिल चुकी थी लेकिन इसे 1 साल के लिए बढ़ा दिया गया है। बंदर को मारने के बाद नजदीक के वन अधिकारी-कर्मचारी को इसकी जानकारी देनी होगी। ये अनुमति केवल 1 साल तक ही रहेगी। 

हिमाचल सरकार ने वनों से बाहर के क्षेत्रों में रीसस मकाक बंदरों की ज्यादा आबादी के कारण खेतो की फसल को खराब करने को लेकर केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट भेजी थी, उसके आधार पर केंद्रीय मंत्री ने अधिसूचना जारी की है। डीएफओ मंडी एसएस कश्यप ने बताया कि हिमाचल में 91 तहसीलों में रसीस मकाक बंदरों को पीड़क जंतु घोषित किया गया है। इनमे जिले के 10 तहसील शामिल हैं। इन 10 तहसील में नीजी भूमि नुकसान करने पर रीसस मकाक बंदर को मारा जा सकता है। 

इनमें मंडी जिला की 10 तहसीलें भी शामिल हैं। इनमें मंडी, चच्योट, थुनाग, करसोग, जोगिंद्रनगर, पधर, लड़भड़ोल, सरकाघाट, धर्मपुर और सुंदरनगर को शामिल किया गया है। बंदर को मारने के बाद तुरंत बाद ही इस बारे नजदीक के वन अधिकारी-कर्मचारी को जानकारी देनी होगी। उन्होंने कहा कि रीसस मकाक बंदरों को सरकारी व वन भूमि में मारने की अनुमति नहीं होगी। ये केवल निजी भूमि के लिए है।

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