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1905 में लॉर्ड कर्जन ने किया बंगाल विभाजन, राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मेज को बताया 'ऐतिहासिक', हो गए ट्रोल

By भाषा | Updated: January 1, 2020 20:52 IST

राज्यपाल ने ट्वीट किया, “1905 में लॉर्ड कर्जन ने जिस ऐतिहासिक मेज पर पहले बंगाल विभाजन के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे, उस पर बैठकर ऐतिहासिक राज भवन पुस्तकालय में पश्चिम बंगाल राज्य के लोगों के लिए नए साल का संदेश रिकॉर्ड किया।” उन्हें जब ट्रोल किया जाने लगा, तो उन्होंने तुरंत एक अन्य संदेश ट्वीट किया और कहा कि वह लोगों के एक “विनम्र सेवक” हैं।

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ठळक मुद्देतृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने इस प्रकरण को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया। उन्होंने कहा, “हम बंगाल विभाजन के प्रकरण को भूलना चाहते हैं। ये (धनखड़ का ट्वीट) दुर्भाग्यपूर्ण है।”

ट्विटर पर मंगलवार को लोगों ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को जमकर ट्रोल किया गया क्योंकि इस माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर अपनी तस्वीर के साथ की गई पोस्ट में लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल विभाजन के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए इस्तेमाल की गई मेज को “ऐतिहासिक” बताया था।

सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने राज्यपाल की आलोचना करते हुए दावा किया कि उन्होंने अपने ट्वीट में विभाजन का महिमामंडन किया है। दो प्रमुख लेखकों, जिन्होंने 1947 में बंगाल विभाजन की विभीषिका का अनुभव किया है, ने कहा कि धनखड़ द्वारा इस्तेमाल किया गया “ऐतिहासिक” शब्द गलत है।

राज्यपाल ने मंगलवार को ट्वीट किया, “1905 में लॉर्ड कर्जन ने जिस ऐतिहासिक मेज पर पहले बंगाल विभाजन के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे, उस पर बैठकर ऐतिहासिक राज भवन पुस्तकालय में पश्चिम बंगाल राज्य के लोगों के लिए नए साल का संदेश रिकॉर्ड किया।” उन्हें जब ट्रोल किया जाने लगा, तो उन्होंने तुरंत एक अन्य संदेश ट्वीट किया और कहा कि वह लोगों के एक “विनम्र सेवक” हैं।

उन्होंने कहा, “इस कुर्सी पर बैठा व्यक्ति लोगों का विनम्र सेवक है, जिसे संविधान को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने तथा पश्चिम बंगाल के लोगों की सेवा करने का आदेश मिला है।” तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने इस प्रकरण को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया।

उन्होंने कहा, “हम बंगाल विभाजन के प्रकरण को भूलना चाहते हैं। ये (धनखड़ का ट्वीट) दुर्भाग्यपूर्ण है।” लेखक शिर्शेंदु मुखोपाध्याय ने कहा कि ट्वीट में “ऐतिहासिक” शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए था। साहित्यकार प्रफुल्ल राय ने भी कहा, “विभाजन पीड़ादायी था। इस शब्द का इस्तेमाल सही संदर्भ में नहीं किया गया।” 

टॅग्स :पश्चिम बंगालममता बनर्जीमोदी सरकारकोलकाता
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