नई दिल्ली: भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) कैडर नियम को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच तकरार की स्थिति देखने को मिल रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बाद केरल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों ने रविवार को इस संबंध में पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है जिसमें संसोधनों को ड्रॉप करने का आग्रह किया है।
आईएएस कैडर नियम 1954 में प्रस्तावित संशोधन पर केरल के सीएम पिनारई विजयन ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर इस पर आपत्ति जताई है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि आईएस कैडर में वर्तमान डेप्युटेशन नियम अपने आप में संघ के पक्ष में हैं और लेकिन इसमें परिवर्तन करने से सहकारी संघवाद की जड़ें कमजोर हो जाएंगी।
वहीं तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखकर आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में प्रस्तावित संशोधनों को हटाने का अनुरोध किया है।
इससे पहले पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर इसे "सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ बताया था। उन्होंने कहा था कि यह बदलाव IAS और IPS अधिकारियों की पोस्टिंग के मामले में केंद्र और राज्यों के बीच सामंजस्यपूर्ण व्यवस्था को खराब करता है।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस पर चिंता जताई है। इसके अलावा राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने भी इस पर आपत्ति जताई है।
IAS कैडर के प्रस्तावित नियम
1- केंद्र सरकार जनहित में आईएएस अधिकारियों को केंद्र में पोस्टिंग कर सकती है। साथ ही उक्त राज्य की सरकार को तय समय में केंद्र के फैसले को लागू करना होगा।2- प्रस्ताव के मुताबिक समय रहते राज्य सरकार फैसले को अमल में नहीं लाती और आईएएस अधिकारी को मुक्त नहीं करती है तो केंद्र सरकार द्वारा तय तारीख से आईएएस अधिकारी को राज्य के कैडर से मुक्त मान लिया जाएगा।
राज्यों को क्यों है आपत्ति?
राज्यों के मुताबिक आईएएस कैडर नियम में प्रस्तावित संशोधन केंद्र को अधिक ताकत देते हैं। इनका कहना है कि नए नियम लागू हुए तो केंद्र सरकार राज्यों के काम में दखल देगी और अफसरों को दबाव में लेकर काम करेगी। आरोप है कि यह लागू होने पर केंद्र सरकार अफसरों पर दबाव बनाने के लिए उन्हें प्रताड़ित करेंगी।