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राम जन्मभूमि के बारे में हिन्दुओं का विश्वास ‘वाल्मीकि रामायण’, ‘स्कंद पुराण’ पर आधारित: SC

By भाषा | Updated: November 10, 2019 19:59 IST

सत्रह नवंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने कहा कि संबंधित स्थल पर भगवान राम का जन्मस्थल होने के बारे में गवाहों ने धार्मिक ग्रंथों से ‘श्लोकों’ का जिक्र किया जो बाबरी मस्जिद का निर्माण वर्ष माने जाने वाले साल 1528 से भी पहले लिखे गए थे तथा इन्हें हिन्दू पक्षों ने अपनी दलीलों को पुष्ट करने के लिए अदालत के समक्ष रखा।

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ठळक मुद्देSC ने सुनाए गए अपने फैसले में कहा है कि हिन्दुओं का विश्वास और आस्था धार्मिक पुस्तकों पर आधारित हैअयोध्या में बाबरी मस्जिद वाली जगह ही भगवान राम का जन्मस्थल है

उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को सुनाए गए अपने फैसले में कहा है कि हिन्दुओं का यह विश्वास और आस्था ‘वाल्मीकि रामायण’ तथा ‘स्कंद पुराण’ समेत शास्त्रों और धार्मिक पुस्तकों पर आधारित है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद वाली जगह ही भगवान राम का जन्मस्थल है, और इसे ‘‘निराधार नहीं ठहराया जा सकता।’’

सत्रह नवंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने कहा कि संबंधित स्थल पर भगवान राम का जन्मस्थल होने के बारे में गवाहों ने धार्मिक ग्रंथों से ‘श्लोकों’ का जिक्र किया जो बाबरी मस्जिद का निर्माण वर्ष माने जाने वाले साल 1528 से भी पहले लिखे गए थे तथा इन्हें हिन्दू पक्षों ने अपनी दलीलों को पुष्ट करने के लिए अदालत के समक्ष रखा। पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल थे।

न्यायालय ने 1045 पृष्ठ के अपने निर्णय में कहा, ‘‘धार्मिक ग्रंथ, जो हिन्दू धर्म के मुख्य स्रोत हैं, वो आधारशिला हैं जिन पर हिन्दुओं का अटल विश्वास है। महाकाव्य ‘वाल्मीकि रामायण’ भगवान राम तथा उनके कार्यों के बारे में ज्ञान का मुख्य स्रोत है।’’ इसने कहा कि वाल्मीकि रामायण में लिखे श्लोकों में अयोध्या में भगवान राम के जन्म के समय की ग्रह स्थिति का जिक्र किया गया है। पीठ ने कहा कि ‘वाल्मीकि रामयण’ के श्लोक-10 में कहा गया है कि कौशल्या ने एक पुत्र को जन्म दिया जो समूचे विश्व का भगवान था और उनके आगमन से अयोध्या धन्य हो गई। इसने श्लोक के हवाले से कहा, ‘‘वह (राम) दैवीय लक्षणों से युक्त थे। यह किसी साधारण व्यक्ति का जन्म नहीं था। पूरे विश्व के भगवान के आने से अयोध्या धन्य हो गई।’’

पीठ ने यह भी कहा कि अयोध्या में भगवान राम के जन्म से जुड़े महाकाव्य में हालांकि जन्मस्थल के बारे में कुछ नहीं कहा गया, सिवाय इसके कि भगवान राम अयोध्या में राजा दशरथ के महल में कौशल्या के गर्भ से पैदा हुए। इसने यह भी उल्लेख किया कि वाद नंबर पांच में एक गवाह और अन्य हिन्दू पक्षों ने आठवीं सदी में लिखे गए धर्म ग्रंथ ‘स्कंद पुराण’ में कही गई बातों पर भी विश्वास जताया।

शीर्ष अदालत ने एक श्लोक का संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘भूमि का उत्तर-पूर्व राम का जन्मस्थल है। यह पवित्र जन्मस्थल मोक्ष आदि पाने का माध्यम माना जाता है। कहा जाता है कि जन्मस्थल विग्नेश्वर के पूर्व, वसिष्ठ के उत्तर और लोमश के पश्चिम में है...।’’ पीठ ने यह भी उल्लेख किया कि एक गवाह ने राम के जन्मस्थल के बारे में दावे को साबित करने के लिए तुलसीदास के ‘रामचरित मानस’ का भी संदर्भ दिया। इसने कहा कि गवाहों में से एक ने चौपाइयों का जिक्र किया जिनमें विष्णु के अवधपुरी (अयोध्या) में मानव रूप में जन्म लेने की बात कही गई है। पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए यह कहा जा सकता है कि भगवान राम की जन्मभूमि के बारे में हिन्दुओं का विश्वास और आस्था वाल्मीकि रामायण और स्कंद पुराण सहित धर्मग्रंथों तथा पवित्र धर्म पुस्तकों से संबंधित हैं, जो निराधार नहीं हो सकता।’’ इसने कहा, ‘‘इस तरह यह पाया जाता है कि वर्ष 1528 से पहले पर्याप्त धार्मिक विषय वस्तु थी जिस पर हिन्दुओं ने यह माना कि वर्तमान में मौजूद संबंधित जगह ही भगवान राम की जन्मभूमि है।’’ 

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